‘नुकसान पहुंचाने वाले बयानों’ को लेकर आईएमए अध्यक्ष की माफी को न्यायालय ने अस्पष्ट बताया

‘नुकसान पहुंचाने वाले बयानों’ को लेकर आईएमए अध्यक्ष की माफी को न्यायालय ने अस्पष्ट बताया

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  • Publish Date - August 27, 2024 / 01:05 PM IST,
    Updated On - August 27, 2024 / 01:05 PM IST

नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के अध्यक्ष आर वी अशोकन द्वारा पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में दिए गए ‘नुकसान पहुंचाने’ वाले बयानों को लेकर एक अखबार में प्रकाशित उनकी बिना शर्त माफी अस्पष्ट है और उसका (अक्षरों का) फॉन्ट बहुत छोटा है।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अशोकन की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया को ‘द हिंदू’ अखबार के 20 संस्करणों की प्रतियां एक हफ्ते के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, जिनमें उनकी माफी प्रकाशित की गई है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम तब तक नहीं मानेंगे जब तक हमें विज्ञापन भौतिक रूप में न दिखें, हमें वास्तविक आकार न दिखाया जाए…हमारे सामने दाखिल माफीनामे का अंश अस्पष्ट है क्योंकि फॉन्ट छोटा है। आईएमए अध्यक्ष के वकील को निर्देश दिया जाता है कि वह ‘द हिंदू’ के 20 प्रकाशनों की भौतिक प्रतियां एक सप्ताह के भीतर दाखिल करें जहां माफीनामे का प्रकाशन किया गया है।’’

अशोकन ने गत नौ जुलाई को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि ‘पीटीआई’ को दिए गए साक्षात्कार में उनके ‘नुकसान पहुंचाने’ वाले बयानों के लिए उच्चतम न्यायालय से उनकी बिना शर्त माफी विभिन्न प्रकाशनों में प्रकाशित हुई है। साक्षात्कार में उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन मामले के बारे में प्रश्नों के उत्तर दिए थे।

पीठ ने 14 मई को सुनवाई के दौरान ‘पीटीआई’ को दिए गए साक्षात्कार में न्यायालय के खिलाफ अशोकन के ‘हानिकारक’ बयानों को लेकर उनसे कुछ कठिन सवाल पूछे थे और कहा था, ‘‘आप ऐसा नहीं कर सकते कि आराम से सोफे पर बैठकर प्रेस को साक्षात्कार दें और अदालत की खिल्ली उड़ाएं।’’

अदालत ने तब साफ किया था कि वह उस स्तर पर उनकी माफी के लिए दायर हलफनामे को स्वीकार नहीं करेगी।

शीर्ष अदालत द्वारा मामले की सुनवाई से एक दिन पहले अशोकन की टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दायर एक आवेदन पर उनसे जवाब मांगा था, जिसमें अदालत से उनके द्वारा दिए गए बयानों का न्यायिक संज्ञान लेने का आग्रह किया गया था।

पीटीआई के कार्यक्रम ‘@4 पार्लियामेंट स्ट्रीट’ कार्यक्रम में 29 अप्रैल को एजेंसी के संपादकों के साथ बातचीत में अशोकन ने कहा था कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि उच्चतम न्यायालय ने आईएमए और निजी चिकित्सकों की कुछ प्रैक्टिस की आलोचना की।

भाषा

वैभव मनीषा

मनीषा