मुफ्त लंगरों की वजह से खराब हुई सिंघू बॉर्डर पर स्थित होटलों की आर्थिक स्थिति, आई ताला लटकाने की नौबत

मुफ्त लंगरों की वजह से खराब हुई सिंघू बॉर्डर पर स्थित होटलों की आर्थिक स्थिति, आई ताला लटकाने की नौबत

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  • Publish Date - January 23, 2021 / 02:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:42 PM IST

नयी दिल्ली: जब सिंघु बॉर्डर पर सड़क के किनारे स्थित राजपूताना रेस्तरां के मालिक को लगने लगा कि वह कोविड-19 महामारी के सबसे खराब आर्थिक संकट से निकल चुके हैं, तो किसानों का विरोध शुरू हो गया। दो महीने बाद भी उनका रेस्तरां खाली है, लेकिन राजमार्ग पूरा भरा हुआ है। चौबीसों घंटे लंगर सेवा चलने, उद्योगों के पूरी तरह से बंद होने और लोगों तथा वाहनों की आवाजाही कम होने से दिल्ली-हरियाणा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थिति कई भोजनालयों की आर्थित स्थिति बहुत खराब होती जा रही है।

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हजारों किसान 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। किसानों की मांग है कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। होटल के मालिक ओम प्रकाश राजपूत ने कहा, ‘लोग यहाँ भोजन करने क्यों आएंगे जब उन्हें यह बाहर लंगरों में मुफ्त भोजन मिल रहा है?’

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40 वर्षीय राजपूत ने कहा, ‘क्या व्यवसाय? कोई भी नहीं आता है। मैं इस दुकान के लिए 35,000 रुपये किराए का भुगतान कर रहा हूं और आठ कर्मचारी हैं। बिना किसी आय के मैं कब तक कर्मचारियों के वेतन और किराए का प्रबंध कर सकता हूं? यदि यह इसी तरह जारी रहा, तो मेरे पास इसे बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा?’

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रेस्तरां में एक रसोइए के रूप में काम करने वाले व बिहार के रहने वाले 23 साल के मोहम्मद एहसान ने कहा कि राजपूत ने उन्हें बताया कि वह अगले महीने भोजनालय बंद कर देंगे। एहसान का वेतन 17,000 रुपये से घटकर 14,000 रुपये हो गया है। वह पहले से ही एक नई नौकरी की तलाश कर रहा है। होटल की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। ऐसी ही हालत एक अन्य छोटी सी भोजनालय पंजाबी जायका का भी है, जिसकी हर दिन की बिक्री 1,200 रुपये से भी कम की है। इस होटल के भविष्य पर भी तलवार लटका हुआ है। कमोबेश यही हाल इस क्षेत्र के सभी होटलों का है।

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