‘यौन उत्‍पीड़न के लिए स्किन टू स्किन टच होना जरूरी नहीं’, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

'यौन उत्‍पीड़न के लिए स्किन टू स्किन टच होना जरूरी नहीं', सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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  • Publish Date - November 18, 2021 / 12:45 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को Bombay High Court के एक फैसले को पलटते हुए बड़ा निर्णय दिया है। जिसमें कहा गया है कि यौन उत्‍पीड़न (Sexaul Assault) के लिए स्किन टू स्किन टच (Skin To Skin Touch) होना जरूरी नहीं है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्‍बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा है कि पॉक्‍सो एक्‍ट में स्‍किन टू स्किन टच जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह नहीं कहा जा सकता है कि यौन उत्‍पीड़न की मंशा से कपड़े के ऊपर से बच्‍चे के संवेदनशील अंगों को छूना यौन शोषण नहीं है। अगर ऐसा कहा जाएगा तो बच्‍चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाए गए पॉक्‍सो एक्‍ट को खत्‍म कर देगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्‍बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए आरोपी को 3 साल की सजा सुनाई है, बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन उत्‍पीड़न के एक आरोपी को यह टिप्‍पणी करते हुए बरी कर दिया था कि अगर आरोपी और पीड़िता के बीच कोई सीधा त्वचा से त्वचा संपर्क नहीं है, तो पॉक्सो एक्‍ट के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है।

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इससे पहले, शीर्ष अदालत ने फैसलों पर रोक लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था और अटॉर्नी जनरल को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी थी, सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ द्वारा जारी इस विवादास्पद फैसले के खिलाफ एटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा दाखिल याचिका समेत इस याचिका का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग सहित कई अन्य पक्षकारों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

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