SC On NEET Paper Leak Case
नई दिल्लीः Supreme Court reprimanded High Court उच्चतम न्यायालय ने एक मतदान केंद्र में घुसकर कथित रूप से ईवीएम तोड़ने के आरोपी युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के विधायक पिन्नेली रामाकृष्ण रेड्डी के चार जून को माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र के मतगणना केंद्र में प्रवेश पर सोमवार को प्रतिबंध लगा दिया। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ ने 13 मई को हुई घटना का वीडियो देखा और रेड्डी को दी गयी अग्रिम जमानत को ‘न्याय तंत्र का भद्दा मजाक’ करार दिया।
Supreme Court reprimanded High Court पीठ ने रेड्डी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा, ”जब आप वीडियो देखेंगे तो पाएंगे कि यह पूरी तरह से गलत आदेश है। यह न्याय प्रणाली का भद्दा मजाक है।” पीठ ने रेड्डी को चार जून को माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र के मतगणना केंद्र में प्रवेश नहीं करने और उसके आसपास भी न रहने का निर्देश दिया। आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे।
न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से कहा कि अदालत रेड्डी के खिलाफ छह जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों से संबंधित याचिका पर बिना किसी संकोच के निर्णय ले। रेड्डी को 28 मई को अंतरिम राहत दी गयी थी। माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार रेड्डी अपने समर्थकों के साथ 13 मई को मतदान वाले दिन कथित तौर पर मतदान केंद्र में घुसे और वीवीपैट व ईवीएम मशीनों को तोड़ दिया। शीर्ष अदालत तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के पोलिंग एजेंट शेषगिरी राव नंबूरी द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विधायक को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम सुरक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी। नंबूरी ने दावा किया कि वीडियो साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस ने विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज न कर, कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
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सिंह ने कहा कि वह इन घटनाओं को नहीं बल्कि कथित तौर पर जब ये घटनाएं हुईं तो बूथ पर विधायक की मौजूदगी को चुनौती दे रहे हैं। पीठ ने कहा कि घटना के वीडियो को देखने पर आरोप प्रथम दृष्टया सत्य प्रतीत होते हैं और इन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, ”शिकायत में बताया गया कि आठ लोग बूथ के अंदर घुसे और वीवीपैट व ईवीएम ले गए और उन्हें नष्ट कर दिया। अब, अगर हम अग्रिम जमानत आदेश पर रोक नहीं लगाते हैं, तो यह न्यायिक प्रणाली का मजाक होगा।”