शीर्ष अदालत अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्यों के बीच आय आधारित आरक्षण प्रणाली की याचिका पर करेगी विचार

शीर्ष अदालत अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्यों के बीच आय आधारित आरक्षण प्रणाली की याचिका पर करेगी विचार

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  • Publish Date - August 11, 2025 / 09:51 PM IST,
    Updated On - August 11, 2025 / 09:51 PM IST

नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण की अधिक न्यायसंगत प्रणाली के वास्ते नीतियां बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने रमाशंकर प्रजापति और यमुना प्रसाद की जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया एवं 10 अक्टूबर तक जवाब मांगा।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह भारी विरोध का सामना करने के लिए तैयार रहें, क्योंकि जनहित याचिका का दूरगामी प्रभाव हो सकता है।

याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता संदीप सिंह के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि यह दृष्टिकोण संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 को मजबूत करेगा तथा मौजूदा आरक्षण में बिना किसी छेड़छाड़ के समान अवसर सुनिश्चित करेगा।

याचिका में कहा गया है कि दशकों से आरक्षण के बावजूद, आर्थिक रूप से सबसे वंचित लोग अकसर पीछे छूट जाते हैं और आरक्षित श्रेणियों के अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति वाले लोग इसका लाभ उठाते हैं लेकिन आय के आधार पर प्राथमिकता देने से यह सुनिश्चित होगा कि मदद वहीं से शुरू हो जहां आज इसकी सबसे अधिक जरूरत है।

जनहित याचिका में कहा गया है, ‘‘अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों से संबंधित याचिकाकर्ता, वर्तमान याचिका के माध्यम से इन समुदायों के भीतर आर्थिक असमानताओं को उजागर करना चाहते हैं, जिसके कारण मौजूदा आरक्षण नीतियों के तहत लाभों का असमान वितरण हुआ है।’’

याचिका में यह तर्क दिया गया कि आरक्षण की रूपरेखा शुरू में ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों के उत्थान के लिए शुरू की गई थी, लेकिन वर्तमान प्रणाली इन समूहों में अपेक्षाकृत समृद्ध आर्थिक स्तर और उच्च सामाजिक स्थिति वाली पृष्ठभूमि से संबंधित लोगों को असमान रूप से लाभान्वित करती है, जबकि आर्थिक रूप से सबसे वंचित सदस्यों के लिए अवसरों तक सीमित पहुंच होती है।

भाषा

राजकुमार नेत्रपाल

नेत्रपाल