‘आरोपियों को पाकिस्तान में मौत.. लेकिन भारत में पहनाई जाती है माला’, यहां के पूर्व सीएम ने फिर दिया विवादित बयान

'The accused die in Pakistan .. but garlands are worn in India', the former CM here again gave a controversial statement छपाकिस्तान में ‘लिंचिंग’ के आरोपी को मौत की सजा, लेकिन भारत में माला पहनाई जाती है...

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  • Publish Date - May 25, 2022 / 07:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

श्रीनगर। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को भारत और पाकिस्तान की न्यायपालिकाओं की तुलना करते हुए कहा कि पड़ोसी देश में जहां पीट-पीटकर हत्या (लिंचिंग) के एक मामले में छह लोगों को मौत की सजा सुनाई गई, वहीं भारत में इसी अपराध के आरोपी लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया गया और उनका अभिनंदन किया गया। महबूबा ने पार्टी के एक सम्मेलन के बाद कुलगाम में संवाददाताओं से कहा, “पाकिस्तान में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। उन्होंने छह को मौत की सजा और 12 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। वर्ष 2015 से अब तक यहां कितने अखलाक की पीट-पीटकर हत्या की जा चुकी है? किसी को भी दंडित नहीं किया गया है।”

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उन्होंने कहा, “सजा के बारे में भूल जाओ, आरोपियों को माला पहनाई जाती है। इस न्यायपालिका और उस न्यायपालिका में यही अंतर है।’’ जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के पास सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के अलावा देश के लोगों को देने के लिए कुछ नहीं है। महबूबा ने कहा, “उनके (सरकार के) पास युवाओं के लिए नौकरी नहीं है, महंगाई बेकाबू है और लोगों को दो वक्त का खाना मिलना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा था कि वे लोगों के खाते में 15 लाख रुपये डालेंगे, इसके बजाय उन्होंने सस्ती दर पर किसानों को दिया जाने वाला अनाज छीन लिया। देश ऐसे ही चलाया जा रहा है।’’

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उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति में, मुसलमानों और उनके पूजा स्थलों को निशाना बनाना तथा हिंदू-मुस्लिम मुद्दों को उठाना ही उनका काम है। हालांकि, मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि अगर आपके पास हिटलर जैसा कोई नुस्खा है, तो सभी को बताएं, आप मुसलमानों के साथ क्या करना चाहते हैं। कश्मीर में हाल में हुई हत्याओं के बारे में पूछे जाने पर महबूबा ने कहा कि जब तक सरकार बल प्रयोग की अपनी नीति को नहीं रोकती तब तक उन्हें रक्तपात का अंत नजर नहीं आता।

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महबूबा ने कहा, ‘‘उन्होंने (सरकार ने) कहा कि एक बार अनुच्छेद 370 के हट जाने के बाद कोई हड़ताल या हत्या नहीं होगी। अब लोगों को क्यों मारा जा रहा है? सुरक्षाबल क्या कर रहे हैं? जब तक वे गिरफ्तारी और उत्पीड़न की नीति को नहीं रोकेंगे, कश्मीर में रक्तपात नहीं रुकेगा। जेकेएलफ के प्रमुख यासीन मलिक से संबंधित मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कश्मीर एक ‘‘राजनीतिक मुद्दा’’ है और इस तरह की घटनाएं विगत में समस्या का समाधान करने में सफल नहीं रही हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘लोगों (कश्मीर से) को पहले भी फांसी दी जा चुकी है, लेकिन इसने इस मुद्दे को हल नहीं किया है। यह और अधिक जटिल हो गया है। मुझे लगता है कि बल प्रयोग की नीति अपनाने के परिणाम अच्छे नहीं होंगे।’’ आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में अदालत ने आज यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई।