न्यायालय ने व्यक्ति के लिए ‘पैसिव युथनेसिया पर विचार को अस्पताल से मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा

न्यायालय ने व्यक्ति के लिए ‘पैसिव युथनेसिया पर विचार को अस्पताल से मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा

न्यायालय ने व्यक्ति के लिए ‘पैसिव युथनेसिया पर विचार को अस्पताल से मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा
Modified Date: November 26, 2025 / 06:49 pm IST
Published Date: November 26, 2025 6:49 pm IST

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने नोएडा जिला अस्पताल को उस 31 वर्षीय व्यक्ति के लिए ‘पैसिव युथनेसिया’ की संभावना तलाशने हेतु एक प्राथमिक बोर्ड गठित करने का बुधवार को निर्देश दिया जो 100 प्रतिशत विकलांगता से पीड़ित है और एक दशक से अधिक समय से निष्क्रिय अवस्था में है।

‘पैसिव युथनेसिया’ उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें किसी मरीज का जीवन बचाने के लिए आवश्यक समर्थन या उपचार रोककर वह स्थिति पैदा की जाती है जिससे उसके प्राण स्वाभाविक ढंग से निकल सकें।

न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने नोएडा सेक्टर 39 स्थित जिला अस्पताल को 31 वर्षीय हरीश राणा के पिता द्वारा दायर आवेदन पर दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। हरीश राणा के पिता ने अपने पुत्र के लिए ‘पैसिव युथनेसिया’ का अनुरोध करते हुए कहा है कि उसकी स्वास्थ्य स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

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पीठ ने निर्देश दिया, ‘हम चाहते हैं कि प्राथमिक बोर्ड हमें एक रिपोर्ट दे कि जीवन रक्षक उपचार रोका जा सकता है। प्राथमिक बोर्ड अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश करे और एक बार जब यह हमारे सामने आ जाएगा, तो हम आगे के आदेश पारित करने के लिए आगे बढ़ेंगे। यह प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।’

यह दूसरी बार है जब मरीज के माता-पिता ने अपने बेटे के लिए ‘पैसिव युथनेसिया’ का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।

पिछले साल 8 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट पर गौर किया था जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि मरीज को उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से घर पर ही देखभाल दी जाएगी और चिकित्सक और एक फिजियोथेरेपिस्ट उसकी नियमित जांच करेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि घर पर देखभाल संभव न हो तो व्यक्ति को उसकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उचित चिकित्सा देखभाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नोएडा के जिला अस्पताल में स्थानांतरित किया जाए।

बुधवार को पिता की ओर से पेश वकील रश्मि नंदकुमार ने कहा कि हरसंभव प्रयास किया गया और वे राज्य सरकार द्वारा दी गई सहायता के लिए आभारी हैं, लेकिन कुछ भी हल होता नहीं दिख रहा है।

वकील ने कहा कि वह एक्टिव युथनेसिया’ की नहीं, बल्कि बेटे के लिए ‘पैसिव की मांग कर रही हैं, जिसमें इस अदालत के फैसले के अनुसार, पीड़ा को समाप्त करने के लिए जीवन के लिए आवश्यक उपचार रोका जा सकता है।

रिपोर्ट देखने के बाद, न्यायमूर्ति परिदवाला ने कहा, ‘लड़के की हालत देखिए। यह दयनीय है।’

पीठ ने रजिस्ट्री को आदेश की प्रति नोएडा स्थित अस्पताल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के कार्यालय को भेजने का निर्देश दिया।

भाषा अमित माधव

माधव


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