अदालत ने गाजीपुर में नाले में हुई मौतों के लिए 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का डीडीए को आदेश दिया

अदालत ने गाजीपुर में नाले में हुई मौतों के लिए 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का डीडीए को आदेश दिया

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  • Publish Date - September 5, 2024 / 09:21 PM IST,
    Updated On - September 5, 2024 / 09:21 PM IST

नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को आदेश दिया कि वह जुलाई में यहां खुले नाले में गिरकर मौत के मुंह में समा गए मां-बेटे के कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये का मुआवजा दे।

डीडीए के वकील ने शुरू में कहा कि प्राधिकरण पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर 15 लाख रुपये देने को तैयार है, लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डीडीए को 20 लाख रुपये देने का निर्देश दिया और कहा कि यही राशि ‘मानक’ है।

पीठ में न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘डीडीए के वकील ने कहा है कि अपने अधिकारों और विवादों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना और अपनी ओर से किसी भी दायित्व को स्वीकार किए बिना तथा मानवता की भावना के तौर पर, वह (डीडीए) मृतक तनुजा और प्रियांश के कानूनी उत्तराधिकारियों को 20 लाख रुपये देने को तैयार है।’’

अदालत मयूर विहार फेज-3 निवासी झुन्नू लाल श्रीवास्तव द्वारा दायर उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ठेकेदार और डीडीए अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित लापरवाही के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी।

ठेकेदार और डीडीए अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही महिला और उसके तीन-वर्षीय बेटे की मौत हो गई थी।

दिल्ली-एनसीआर में 31 जुलाई की शाम को भारी बारिश के कारण पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके में आधे खुले निर्माणाधीन नाले में तनुजा (22) और उसके बेटे प्रियांश की डूबने से मौत हो गई।

दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि मौतों से संबंधित आपराधिक मामले में एक मसौदा आरोप-पत्र तैयार किया गया है और जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारियों से मंजूरी मिलने के बाद अंतिम आरोप-पत्र दायर किया जाएगा।

पुलिस के वकील ने पहले अदालत को बताया था कि यह डीडीए का एक ठेकेदार था, जिसने वहां कुछ काम करने के बाद घटनास्थल पर नाले को खुला छोड़ दिया था।

अधिकारियों द्वारा अपनाए गए रुख को देखते हुए अदालत ने पाया कि आगे किसी आदेश का अनुरोध नहीं किया गया था, इसलिए इसने मामले में कार्यवाही बंद कर दी।

पीठ ने एमसीडी के इस आश्वासन को भी रिकॉर्ड पर दर्ज किया कि जिस क्षेत्र में यह घटना हुई थी, वहां सभी मरम्मत, पुनर्विकास और निर्माण कार्य दिसंबर तक पूरे कर लिये जाएंगे।

अदालत ने नालियों की तस्वीरें देखने के बाद कहा कि यह जगह ‘‘अब भी काफी गंदी है’’। इसने नगर निगम से कहा कि वह इसे साफ करवाए, क्योंकि ‘दिल्ली में डेंगू फैल रहा है’।

अदालत ने पिछले महीने मां-बेटे की मौत पर डीडीए को फटकार लगाई थी, क्योंकि उसने पाया था कि अधिकारियों ने ठेकेदार द्वारा किये गये काम की ‘निगरानी’ नहीं की, जिसने कथित तौर पर नाले के कुछ हिस्सों को खुला छोड़ दिया था।

इसके बाद अदालत ने डीडीए के वकील से कहा कि वह अगली सुनवाई की तारीख से पहले पीड़ित परिवार को मुआवजे के भुगतान के बारे में (अपने मुवक्किल से) निर्देश लेकर आयें।

इससे पहले, पुलिस ने अदालत को बताया था कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 के तहत ‘लापरवाही से मौत’ के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

भाषा सुरेश अविनाश

अविनाश