बिहार प्रदेश सरकार के मंत्रियों की जुबान इन दिनों बेलगाम नजर आ रही हैं। हर दिन कोई न कोई मंत्री धर्म, जाति पर के बीच जहर घोलने में जुटा हैं। अनर्गल बयानबाजी कर आपसी सौहार्द को बिगाड़ने पर आमादा हैं। कुछ दिनों पहले बिहार के शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस और तुलसीदास को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी वही अब नीतीश कुमार के मंत्री परिषद में भूमि सुधार मंत्री का जिम्मा सम्हाल रहे आलोक मेहता ने सवर्णो पर आपत्तिजनक बात कही हैं। आशंका जताई जा रही है की इस तरह के लगातार बयानबाजी से राज्य की कानून व्यवस्था बिगड़ सकती हैं लेकिन शायद नेताओ में इस बात का जरा भी इल्म नजर नहीं आ रहा हैं और ना ही नीतीश कुमार की समझाइस का कोई असर दिख रहा हैं।
दरअसल राष्ट्रीय जनता दल के कोटे से भूमि सुधार मंत्री बने आलोक मेहता ने शनिवार को कहा की जो 10% वाले हैं वह पहले मंदिरों में घंटी बजाते थे और अंग्रेजो की गुलामी करते थे। इन 10% के आमने कोई आवाज उठाता था तो उनकी आवाज दबा दी जाती थी। इनके रहते अब आरक्षण पर भी ख़तरा मंडरा रहा हैं।
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वही आपत्तिजनक बयान से जुड़ा यह मामला जब मीडिया में उछला तो राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने रविवार को सफाई भी दें डाली। उन्होंने कहा की भागलपुर में शनिवार को उन्होंने किसी जाति पर कोई आक्षेप नहीं किया था। बस यह कहा था कि 10 प्रतिशत वाले मंदिर में घंटी बजाते थे और अंग्रेजों के दलाल थे। यह किसी जाति के लिए नहीं था। उन्होंने कहा कि मैंने यह कहा था कि जमाने के हिसाब से शासक और शोषित वर्ग बदलते रहते हैं। जब अंग्रेज शासक थे, तो भारत के लोग शोषित थे।