उच्चतम न्यायलय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर सवाल पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा
उच्चतम न्यायलय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर सवाल पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा
नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायलय के पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ शुक्रवार को इस सवाल पर सुनवाई करेगी कि क्या कोई न्यायिक अधिकारी, जिसने पीठ में शामिल होने से पहले ही सात साल बार में काम किया हो, रिक्त पद को देखते हुए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश बनने का हकदार है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने 12 अगस्त को यह प्रश्न भी उठाया था कि क्या जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता पर केवल नियुक्ति के समय विचार किया जाना चाहिए या आवेदन के समय या दोनों पर।
प्रधान न्यायाधीश गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने कहा था कि दोनों मुद्दों में संविधान के अनुच्छेद 233(2) की व्याख्या के संबंध में कानून का महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल है।
अनुच्छेद 233 जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है।
पीठ ने कहा, ‘हम उपरोक्त मुद्दों को इस न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ के विचारार्थ भेजते हैं। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह उचित आदेश प्राप्त करने के लिए मामले को प्रशासनिक पक्ष से भारत के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करे।’
शीर्ष अदालत ने यह आदेश केरल उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें एक जिला न्यायाधीश की नियुक्ति को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि नियुक्ति के समय वह वकालत नहीं कर रहे थे और न्यायिक सेवा में थे।
याचिकाकर्ता वकील थे और उन्हें बार में सात साल का अनुभव था, जब उन्होंने जिला न्यायाधीश के पद के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत किया था।
भाषा आशीष माधव
माधव

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