वीबी-जी राम जी विधेयक ग्रामीण भारत पर जानबूझकर और सुनियोजित हमला है।

वीबी-जी राम जी विधेयक ग्रामीण भारत पर जानबूझकर और सुनियोजित हमला है।

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  • Publish Date - December 21, 2025 / 08:27 PM IST,
    Updated On - December 21, 2025 / 08:27 PM IST

गुरुग्राम, 21 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने रविवार को वीबी-जी राम-जी विधेयक को “ग्रामीण भारत पर जानबूझकर और सुनियोजित हमला” करार दिया और आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौर के मनरेगा कानून की उपलब्धियों को एक ही दिन में मिटा दिया।

संसद ने गत 18 दिसंबर को वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025 पारित किया था। इसका उद्देश्य 20 वर्ष पुराने ग्रामीण रोजगार कानून ‘मनरेगा’ को प्रतिस्थापित करना और प्रति वर्ष 125 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करना है। वहीं प्रस्तावित ग्रामीण रोजगार कानून से महात्मा गांधी का नाम ‘हटाने’ के खिलाफ विपक्ष ने जोरदार विरोध किया था।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के इस कदम के खिलाफ रविवार को नूंह में हो रहे विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सिंह ने दावा किया कि वीबी-जी राम जी विधेयक अधिकार आधारित, मांग-आधारित रोजगार गारंटी को खत्म करता है और इसे केंद्र द्वारा नियंत्रित, मनमानी योजना में बदलता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कानून ना केवल राज्यों के अधिकारों पर हमला है, बल्कि गांवों की आत्मनिर्भरता को भी कमजोर करता है।’’

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने स्थायी समिति की पड़ताल के बिना संसद में इस विधेयक को ‘जबरदस्ती’ पारित कराये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘बिना विशेषज्ञ परामर्श या सार्वजनिक चर्चा के करोड़ों ग्रामीण श्रमिकों के जीवन को प्रभावित करने वाला कानून पारित करना लोकतंत्र का अपमान है।’’

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रविवार को गुरुग्राम के न्यू कॉलोनी चौराहे पर मौन सत्याग्रह किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस के गुरुग्राम जिला अध्यक्ष (शहरी) पंकज डावर ने किया।

पंकज डावर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मनरेगा के जरिये दिन का दो वक्त का भोजन कमाने वाले गरीबों के मन में यह नाम हमेशा के लिए बस गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार कागजों पर नाम बदल सकती है, लेकिन वह उन गरीबों की आत्मा से मनरेगा को नहीं मिटा सकती।

भाषा अमित प्रशांत

प्रशांत