कोलकाता, 28 दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने रविवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) योजना के तहत सत्यापन के लिए अधिकारियों को घर भेजने के बजाय बुजुर्ग, बीमार व्यक्तियों एवं दिव्यांगों को सुनवायी के वास्ते उनके घरों से दूर स्थित शिविरों में आने के लिए मजबूर कर रहा है।
‘अनमैप्ड’ मतदाताओं की सुनवाई 27 दिसंबर को शुरू हुई। ‘अनमैप्ड’ मतदाता से आशय ऐसे मतदाताओं से है जिसके दस्तावेजों का सटीक मिलान नहीं हो सका है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद पार्थ भौमिक ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने उन बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों को तलब किया है जिन्हें उनकी गणना प्रपत्रों में कुछ विसंगतियों के कारण ‘अनमैप्ड’ श्रेणी में रखा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी यातना से कम नहीं है। चलने फिरने में दिक्कत के कारण निर्वाचन आयोग बुजुर्गों के घरों पर मतदान कर्मियों को भेजता है। इस बार वे वही प्रक्रिया क्यों नहीं अपना सके?’’
भौमिक ने कहा कि टीएमसी नेताओं ने निर्वाचन आयोग के साथ हुई बैठक के दौरान इस मुद्दे को बार-बार उठाया था, लेकिन लगता है कि निर्वाचन आयोग ने इसे नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे व्यवहार की निंदा करते हैं।’’
उनकी बात का समर्थन करते हुए वरिष्ठ मंत्री शशि पांजा ने निर्वाचन आयोग के रवैये को ‘‘अमानवीय’’ बताया। उन्होंने कहा, “बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग लोगों को निर्धारित तिथि और समय पर शिविरों तक पहुंचने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।”
पांजा ने यह भी कहा कि जहां ऐसी खबरें हैं कि कुल 1.36 करोड़ लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा, वहीं एक तार्किक विसंगति बनी हुई है, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने उपलब्ध आंकड़े के बावजूद यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें अस्थायी मतदाता सूची से किस आधार पर बाहर रखा गया है।
भाषा अमित संतोष
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