नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विवादित फिल्म ‘आदिपुरुष’ के फिल्म प्रमाणपत्र को निरस्त करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज करते हुए कहा कि किसी पाठ्य सामग्री का सिनेमाई प्रदर्शन उसकी सटीक प्रतिकृति नहीं हो सकता।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र मिला है और इस अदालत के लिए इसमें हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों पर अदालतों को सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुनवाई क्यों करनी चाहिए। हर कोई अब हर बात पर संवेदनशील हो जाता है। हर बार आप उच्चतम न्यायालय आ जाते हैं। क्या हम हर बात पर सुनवाई करें? फिल्मों, किताबों के लिए इन दिनों सहिष्णुता का स्तर गिरता जा रहा है।’’
उच्चतम न्यायालय वकील ममता रानी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें पवित्र ग्रंथों को कथित तौर पर गलत तरह से प्रस्तुत करने के लिए फिल्म के प्रमाणपत्र को निरस्त करने का अनुरोध किया गया था।
भाषा गोला वैभव
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