वेणुगोपाल का प्रधानमंत्री को पत्र, ईसाई विरोधी हिंसा पर निर्णायक कार्रवाई का आग्रह

वेणुगोपाल का प्रधानमंत्री को पत्र, ईसाई विरोधी हिंसा पर निर्णायक कार्रवाई का आग्रह

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 06:42 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 06:42 PM IST

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा की हालिया घटनाओं पर चिंता जताई और आग्रह किया कि सरकार निर्णायक कार्रवाई करे ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।

उन्होंने यह दावा भी किया कि ऐसे विषय पर प्रधानमंत्री और सरकार की ‘‘चुप्पी’’ नफरत फैलाने वालों को प्रोत्साहित करती है।

वेणुगोपाल ने पत्र में कहा, ‘‘मैं भारत के ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध बढ़ती हिंसा और डराने-धमकाने की घटनाओं को लेकर गहन व्यथा और चिंता के साथ आपको लिख रहा हूं। यह हमारे लोकतंत्र की बुनियाद-धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और गरिमा—को दिए जा रहे संवैधानिक आश्वासनों पर एक खुला हमला है। यह केवल अलग-थलग कट्टरता नहीं है, बल्कि नफरत फैलाने का एक सुनियोजित प्रयास है, जो हमारे राष्ट्र की बहुलतावादी आत्मा को खोखला कर रहा है।’’

उन्होंने हाल की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि केरल तक में दक्षिणपंथी संगठनों के माध्यम से असहिष्णुता का यह ज़हर फैल चुका है।

वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘ये घटनाएं अलग-थलग नहीं हैं, बल्कि ‘भारत की अवधारणा’ के मूल पर किए गए घाव हैं। जब सरकारी व्यवस्था अपने नागरिकों को भीड़तंत्र के हवाले कर देती है, तब हम “सबका साथ, सबका विकास” का उपदेश कैसे दे सकते हैं?’’

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री और सरकार की चुप्पी नफरत फैलाने वालों को प्रोत्साहित करती है और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा के लिए मानो खुला निमंत्रण देती है।

कांग्रेस नेता का कहना था, ‘‘यह पूर्णतः अस्वीकार्य है।’’

वेणुगोपाल के अनुसार, नए वर्ष के आने में केवल कुछ ही दिन शेष हैं, ऐसे में सरकार को किसी भी प्रकार की हिंसा और उत्पात को रोकने के लिए अत्यधिक सतर्कता और ठोस कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘अतः मैं सरकार से तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की मांग करता हूं कि इस विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया जाए, यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी हिंसक घटनाएं भविष्य में न हों, और देश के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भय के अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का संवैधानिक अधिकार सुरक्षित रूप से प्राप्त हो।’’

भाषा हक

हक नरेश

नरेश