कर्नाटक में भाजपा को कमजोर करने वाले निहित स्वार्थी तत्व बेखौफ, सुधार चाहने वाले निलंबित: यतनाल

कर्नाटक में भाजपा को कमजोर करने वाले निहित स्वार्थी तत्व बेखौफ, सुधार चाहने वाले निलंबित: यतनाल

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  • Publish Date - March 27, 2025 / 04:37 PM IST,
    Updated On - March 27, 2025 / 04:37 PM IST

बेंगलुरु, 27 मार्च (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निलंबित बागी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि कर्नाटक में पार्टी को कमजोर करने के लिए समायोजन की राजनीति में लिप्त निहित स्वार्थी लोग खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि जो लोग एक परिवार केंद्रित राजनीति को समाप्त करने के लिए इसमें सुधार करना चाहते थे, उन्हें निलंबित कर दिया गया है या नोटिस थमा दिया गया है।

पाटिल कहा कि वह हमेशा ‘राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में, स्वयं अंतिम’ के सिद्धांत पर काम करते रहेंगे।

भाजपा ने बुधवार को बागी विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री यतनाल को पार्टी अनुशासन का बार-बार उल्लंघन करने के कारण छह साल के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था।

भाजपा में पिछले कुछ समय से गुटबाजी सार्वजनिक रूप से सामने आ रही थी, जिसमें बीजापुर शहर के विधायक यतनाल के नेतृत्व में एक वर्ग पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र को पद से हटाने की मांग कर रहा था।

यतनाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘वे स्वार्थी तत्व जो कर्नाटक में पार्टी को कमजोर करने वाली राजनीति में लिप्त रहे और भाजपा के अभेद्य गढ़ जैसे कलबुर्गी, कोप्पल, रायचूर, बेल्लारी, चिकोडी निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी की हार का कारण बने, वे बिना किसी अनुशासनात्मक कार्रवाई के छोड़ दिए गए, जबकि जो लोग एक व्यक्ति की श्रेष्ठता और परिवार-केंद्रित राजनीति को समाप्त करके पार्टी में सुधार करना चाहते थे, उन्हें निलंबित कर दिया गया या नोटिस जारी किया गया।’

उन्होंने कहा कि पार्टी के खिलाफ खुलेआम बगावत और कांग्रेस पार्टी का समर्थन करने वाले दो विधायकों को या तो नजरअंदाज कर दिया गया है या पार्टी कार्यकर्ताओं के दबाव के बाद उन्हें नोटिस भेजा गया है।

यतनाल ने कहा, ‘‘आलाकमान को उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में पार्टी की हार के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जहां भाजपा का बहुत मजबूत मतदाता आधार है, विशेष रूप से पंचमसाली लिंगायत समुदाय में। इसके अलावा पार्टी ने समायोजन की राजनीति को भी नजरअंदाज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप शिगगांव उपचुनाव में भाजपा की हार हुई, जो पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का गढ़ था।’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस सरकार की नीतियों का आक्रामक तरीके से मुकाबला करने में पार्टी की विफलता के कारण उपचुनावों में उसकी हार हुई। इस कारक को हाईकमान ने आसानी से नजरअंदाज कर दिया।’

भाषा योगेश सुरेश

सुरेश