कोलकाता, 16 मई (भाषा) पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष लगभग 32,000 प्राथमिक विद्यालय के अप्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने के उसके आदेश के खिलाफ मंगलवार को एक अपील दायर की। बोर्ड ने दावा किया कि उक्त शिक्षकों ने उसके बाद निर्दिष्ट समय के भीतर प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा (डीईएजईडी) प्राप्त किया है।
न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार को 12 मई के अपने उस आदेश को संशोधित किया, जिसमें 36,000 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरियां रद्द कर दी गई थीं। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने आदेश में संशोधन याचिकाकर्ताओं के वकील तरुणज्योति तिवारी द्वारा दलील दिये जाने के बाद किया।
बोर्ड ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के आदेश के खिलाफ न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की और दावा किया कि प्राथमिक विद्यालय के जिन शिक्षकों की नौकरी रद्द करने का आदेश दिया गया था, उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों को अनुमत समयसीमा के भीतर डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीईएजईडी) में प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील किशोर दत्त ने कहा कि इसी तरह की दो याचिकाओं को पहले उच्च न्यायालय की दो अन्य पीठों ने खारिज कर दिया है और इस तरह याचिकाओं को न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा विचार नहीं किया जाना चाहिए था।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में कहा था कि बोर्ड के अध्यक्ष ने अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उम्मीदवारों की अभिक्षमता परीक्षा(एक्टीट्यूड टेस्ट) ली गई थी, लेकिन साक्षात्कारकर्ताओं और उम्मीदवारों द्वारा पेश किए गए सबूतों से इस अदालत के सामने यह साबित हो गया है कि कोई अभिक्षमता परीक्षा नहीं ली गई थी।
खंडपीठ में न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य भी शामिल थे। उसने बोर्ड से पूछा कि वह आदेश में उठाए गए कुछ बिंदुओं का जवाब कैसे देना चाहेगा, जैसे अभिक्षमता परीक्षा और उम्मीदवारों को अंक देना।
खंडपीठ ने बोर्ड की ओर से पेश वकीलों से कहा कि एकल पीठ ने अभ्यर्थियों को बिल्कुल नजरंदाज नहीं किया था, बल्कि उन्हें नए सिरे से भर्ती का मौका दिया था।
कुछ उम्मीदवारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बंदोपाध्याय ने कहा कि केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार प्राथमिक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के दो साल के भीतर उन्हें प्रशिक्षित किया गया था।
वकील कुमारज्योति तिवारी उन याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए जिनकी याचिका पर एकल पीठ ने आदेश पारित किया था। उन्होंने कहा कि बोर्ड की वेबसाइट से डाउनलोड किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि अधिक योग्य उम्मीदवारों को नौकरी नहीं मिली थी, जबकि कम योग्य लोगों को भर्ती किया गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में प्राथमिक शिक्षकों के लिए पूरी भर्ती प्रक्रिया एक दिखावा थी।
अदालत ने मामले की सुनवाई बुधवार के लिए स्थगित कर दी।
भाषा अमित माधव
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