मुंबईः Woman Cancel Divorce for Romance आज के दौर में रिश्तों की अहमियत खत्म होती जा रही है। पति-पत्नी के बीच मामूली विवाद तालाक तक पहुंच जाता है। इसके बाद गलतियों को अहसास होने पर दोनों एक-दूसरे के करीब आने की कोशिश भी करते हैं। ऐसा ही एक मामला मुंबई से सामने आया है। यहां एक महिला ने अपने तालाक को निरस्त करने की याचिका लगाई है। महिला ने कहा है कि वह अपने पति के साथ नई जिंदगी शुरू करना चाहती है। हालांकि कोर्ट ने पूरी सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया।
Woman Cancel Divorce for Romance सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पति और उसके परिवार के लोगों के खिलाफ झूठा केस दर्ज करना क्रूरता है। मामले में महिला के पति का आरोप है कि 8 साल शादी में साथ रहने के बाद अचानक उसकी बीवी मायके रहने लगी थी। उसने उसके परिवार के खिलाफ कई झूठी कंप्लेन दर्ज कराई। ससुर और देवर के खिलाफ छेड़छाड़ तक के आरोप लगाए। इससे उनकी काफी बदनामी हुई।
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने महिला द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। महिला ने अपनी याचिका में वैवाहिक अधिकारों को बहाल किए जाने का अनुरोध किया था और पारिवारिक अदालत के फरवरी 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें तलाक की मंजूरी दी गई थी क्योंकि पति ने अपनी पत्नी की क्रूरता और उसके अलग हो जाने के आधार पर तलाक मांगा था।
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हाई कोर्ट ने 25 अप्रैल को यह आदेश सुनाया, जिसकी प्रति बीते मंगलवार को उपलब्ध कराई गई। न्यायमूर्ति वाई जी खोबरागड़े ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत कार्यवाही शुरू करना और वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग करना अपने आप में क्रूरता नहीं है। उन्होंने कहा, “लेकिन, पति, उसके पिता, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ पुलिस के पास विभिन्न झूठी, आधारहीन रिपोर्ट दर्ज करना निश्चित रूप से क्रूरता के दायरे में आता है।”