बिहार -जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है लेकिन आप कल्पना कीजिये की उस राह को पकड़ने के लिए हम सब क्या वास्तव में उतनी मेहनत उतनी हिम्मत और उतनी ललक रखते है जो बिहार के ग्राम पंचायत मढ़ौरा की बबिता महतो ने कर दिखाया। पढ़ाई की कीमत क्या होती है इसका जीता जागता उदहारण है बबिता जिसने अपने चार घंटे पहले पैदा हुए बच्चे को लेकर पूरी परीक्षा दी। बताया जा रहा है कि बबिता को पढ़ाई का शौक शुरू से था लेकिन परिस्थिति वश वो आगे पढ़ नहीं पाई शादी के बाद घर की माली हालत उसे पढ़ने के लिए रोकती ,लेकिन बबिता ने हार नहीं मानी।
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क्या है पूरा माजरा
मढ़ौरा नगर पंचायत की बबिता महतो के पति मजदूरी करते हैं. मगर बबिता महतो ने ठान लिया है कि उसे अफसर बनना है. परिवार को गरीबी से मुक्त करना है. बबिता जब परीक्षा हाल पहुंची तो उन्हें विशेष रियायत भी मिली. नवजात बच्चे का परीक्षा तक ख्याल रखने नवजात शिशु के दादी को एग्जाम सेंटर के भीतर प्रवेश दिया गया. वही परीक्षा हाल के बाहर मजदूर पति भी अपने पहले बच्चे को गोद में लेकर दुलारने इंतजार करते रहे.
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बबिता महतो ने परीक्षा हाल में केन्द्राध्यक्ष को बताया कि उसका आज एग्जाम की तो निर्धारित तिथि थी. लेकिन उसके प्रसव का कोई नियत तिथि नहीं थी. परीक्षा के पूर्व रात्रि ही वह प्रसव पीड़ा से कराहने लगी. परिवार ने उसे नजदीकी एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया और उन्हें प्रथम पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई बेटे होने की ख़ुशी तो थी लेकिन वह एग्जाम मिस नहीं करना चाहती थी.इसलिए उसने पुरे परिवार से जिद कर परीक्षा देने जाने की सोची। और उसकी ज़िद के बाद परिवार के एक एक सदस्य धीरे धीरे उसके समर्थन में खड़े होने लगे।
वेब टीम IBC24