नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस इस साल कई मामलों की जांच में व्यस्त रही, जिसमें लालकिला के पास विस्फोट की घटना और नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सुबह-सुबह हुई भगदड़ की घटना शामिल थी।
साल की सबसे बड़ी घटना 10 नवंबर को घटी, जब लालकिला के पास एक कार में विस्फोट हुआ, जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
धमाके ने घनी आबादी वाले चांदनी चौक-लालकिला इलाके को झकझोर कर रख दिया। विस्फोट की घटना के बाद बम निरोधक और फोरेंसिक टीम की भारी तैनाती की गई, स्थानीय मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया और धमाके की जगह को कई दिनों तक घेराबंदी करके रखा गया।
मामले की जांच शुरू में दिल्ली पुलिस ने की जिसे बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दिया गया।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर बीस अगस्त को, उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में आयोजित एक जन सुनवाई के दौरान हमला किया गया। हमलावर सकरिया राजेशभाई खिमजीभाई गुजरात का निवासी था और मुख्यमंत्री पर हमला करने के लिए वह कथित तौर पर सख्त सुरक्षा घेरों को भेदने में सफल रहा।
एक विशेष अदालत ने हाल ही में खिमजीभाई के खिलाफ हत्या के प्रयास और आपराधिक साजिश के तहत आरोप तय किए।
इस घटना ने वीआईपी सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा को प्रेरित किया और सार्वजनिक कार्यक्रमों में गुप्ता की सुरक्षा कड़ी करने के निर्देश जारी किए गए।
पंद्रह फरवरी को, नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक भगदड़ की घटना में 18 लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब यात्री प्लेटफॉर्म 14 और 15 के ऊपर के भीड़भाड़ वाले फुटब्रिज पर फिसल गए।
इस घटना ने देश के सबसे व्यस्त परिवहन केंद्रों में से एक में पुराने बुनियादी ढांचे और भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों को उजागर किया।
मई में, दिल्ली पुलिस ने शायद शहर के सबसे विचित्र अपराधियों में से एक को गिरफ्तार किया। वह एक कुख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक था जो ‘सीरियल किलर’ बन गया था और जिसे ‘डॉक्टर डेथ’ नाम दिया गया।
देवेंद्र शर्मा (67) को गुरुग्राम और दिल्ली में कई हत्याओं का दोषी ठहराया गया था। वह पैरोल तोड़कर फरार हो गया था और राजस्थान के दौसा स्थित एक आश्रम में पुजारी के रूप में रहता पाया गया।
पुलिस जांच में पता चला कि शर्मा व्यक्तियों की हत्या के बाद उनके शव को मगरमच्छों को खिला देता था।
इसके साथ ही, पुलिस बल ने खुद को एक स्वयंभू बाबा से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में भी उलझा पाया। स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पहले एक धार्मिक संगठन से जुड़ा था और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के एक संस्थान में प्रबंधन समिति के सदस्य के रूप में कार्य कर रहा था। कई छात्राओं द्वारा उस पर उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की।
पूरे साल विद्यालयों, अस्पतालों और कॉलेजों को बम की झूठी सूचनाएं लगातार एक चुनौती बनी रहीं और सूचनाएं भेजने वाले का कोई ठोस सुराग नहीं मिला। उनका पता लगाने के लिए खुफिया इकाइयां वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) से जुड़े स्वरूप का विश्लेषण जारी रखे हुए हैं।
इस साल सड़क अपराध की कुछ घटनाएं भी सामने आईं।
अगस्त में, कांग्रेस सांसद आर. सुधा से चाणक्यपुरी के उच्च सुरक्षा वाले इलाके में सुबह की सैर के दौरान चेन छीनने की घटना हुई। दिल्ली पुलिस ने 48 घंटे के भीतर 24 वर्षीय आदतन अपराधी सोहन रावत का पता लगा लिया और उसे गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके कब्जे से 30 ग्राम सोने की चेन और अन्य चोरी की वस्तुएं बरामद कीं।
आरोपी पहले के चोरी के मामलों में जमानत पर था और उसके खिलाफ 26 आपराधिक मामले दर्ज पाये गए।
इस घटना ने नागरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था में खामियों को लेकर विशेषकर महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराधों को लेकर बहस छेड़ दी।
पुलिस बल में शीर्ष स्तर पर भी असामान्य रूप से तेज बदलाव देखने को मिला। पुलिस प्रमुख संजय अरोड़ा की सेवानिवृत्त के बाद, एसबीके सिंह को दिल्ली पुलिस का 25वां आयुक्त नियुक्त किया गया, लेकिन केवल 21 दिनों में उन्हें जेल महानिदेशक के तौर पर प्रभार संभालने के लिए स्थानांतरित कर दिया गया।
तत्कालीन जेल महानिदेशक सतीश गोलछा को 26वां पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया।
हाल के वर्षों की सबसे बड़ी मुठभेड़ों में से एक में, 23 अक्टूबर को रोहिणी में बिहार के चार गैंगस्टर को मार गिराया गया। रंजन पाठक, बिमलेश महतो, मनीष पाठक और अमन ठाकुर सिग्मा गिरोह के सदस्य थे और बिहार में कई हत्याओं के मामले में वांछित थे।
दिल्ली पुलिस अन्य कई हादसों से भी निपटी। उनमें से एक 12 जुलाई को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वेलकम इलाके में चार मंजिला इमारत का ढहना था। इस हादसे में दो साल की एक बच्ची सहित परिवार के छह सदस्यों की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए।
पुलिस द्वारा आगामी वर्ष में अपराधियों को कानून के कटघरे में लाने, महत्वपूर्ण स्थानों पर सुरक्षा मजबूत करने और शहरी सुरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने पर फिर से जोर देने की संभावना है।
भाषा अमित मनीषा
मनीषा