NYIFF Best Actor Actress Award 2025: न एक्टिंग का ज्ञान...न कभी देखा कैमरा...पहली ही फिल्म में अम्मा-बूबू नॉमिनेट हुए बेस्ट एक्टर-एक्ट्रेस / Image Source: Screengrab
मुंबई: NYIFF Best Actor Actress Award 2025 भारतीय फिल्मों और कलाकारों को सम्मानित करने के लिए अमेरिका में अयोजित होने वाले न्यूयॉर्क भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अभिनय के दम पर अपनी छाप छोड़ने वाले कलाकारों को सम्मानित किया जाता है। ये आयोजन खास तौर पर भारतीय फिल्मों के लिए किया जाता है। अब तक आपने देखा होगा कि NYIFFAwards में ऐसे लोग सम्मानित होते आए हैं जिनका पेशा ही फिल्मों में काम करना है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस बार NYIFFAwards में ऐसे कलाकारों का नॉमिनेट किया गया है जिन्होंने न कभी कैमरा देखा था और ना ही फिल्मों में काम किया था। फिल्म में दोनों कलाकारों के अभिनय की चर्चा अब सात समंदर पार भी हो रही है।
NYIFF Best Actor Actress Award 2025 दरअसल इस बार NYIFFAwards में फिल्ममेकर और जर्नलिस्ट रहे विनोद कापड़ी की फिल्म ‘पायर’ के दो कलाकारों पद्म सिंह और हीरा देवी को नॉमिनेट किया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पद्म सिंह की उम्र 80 साल है और हीरा देवी की उम्र 70 साल है। दोनों उत्तराखंड के पहाड़ी में बसे एक गांव में रहने वाले हैं और इन्होंने कभी फिल्मों में काम करना तो दूर कैमरा भी नहीं देखा था। बेस्ट एक्टर और एक्ट्रेस अवार्ड की इस रेस में पद्म सिंह और हीरा देवी का मुकाबला मनोज बाजपेयी से है, जो बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार हैं। बता दें कि इससे पहले ‘थ्री ऑफ अस’ के लिए जयदीप अहलावत को NYIFFAwards में सम्मानित किया जा चुका है।
This is pure gold
#NYIFFAwards 25th New York Indian Film Festival में BEST ACTRESS के लिए नॉमिनेट होने पर #Pyre की 70 वर्षीय हीरोइन, हमारी आमा ( हीरा देवी ) की सबसे पहली प्रतिक्रिया : “अमेरिका जाऊँगी तो भैंस का क्या होगा ? ये तो बहुत दिक़्क़त हो जाएगी। भैंस बेचनी पड़ेगी… https://t.co/NzBxmeO7OP pic.twitter.com/u63dbKVBrN
— Vinod Kapri (@vinodkapri) April 22, 2025
दरअसल फिल्म पायर में उत्तराखंड के रहने वाले 80 साल के पद्म सिंह और हीरा देवी ने अम्मा-बूबू का किरदार निभाया है। इन दोनों कलाकारों ने पहली बार कैमरा देखा, लेकिन फिल्म में अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि सात समंदर पार बेस्ट एक्टर और एक्ट्रेस के अवार्ड के लिए नॉमिनेट कर लिया गया है। हालांकि ये कहना गलत नहीं होगा कि इसके लिए विनोद कापड़ी को बेहद मेहनत करना पड़ा होगा।
बात करें फिल्म की कहानी की तो ये एक सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म की कहानी एक उत्तराखंड के ऐसे गांव पर आधारित है, जो पहाड़ों पर बसा हुअ है। इस गांव में रहने वाले लोग धीरे-धीरे पलायन कर मैदान क्षेत्र में चले गए। गांव में अम्मा और बूबू (पद्म सिंह और हीरा देवी) के अलावा कुछ और लोग ही बचे रहते हैं। पलायन के दौर के बीच बूबू की तबीयत खराब हो जाती है, लेकिन गांव में इतने लोग नहीं बचते कि उन्हें इलाज के लिए नीचे तक ले जा सकें।
डायरेक्टर विनोद कापड़ी ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए बताया कि जब उन्होंने 2017 में पद्म सिंह और हीरा देवी से मुलाकात की थी तो उन्होंने बताया कि गांव में कम ही लोग बचे हैं। जो लोग बचे हैं उनमें से कुछ लोग उनकी मदद कर देते हैं और उसके बदले पद्म सिंह उन्हें बकरी दे देते हैं। उनके पास 20-25 बकरियां थीं। फिर जब पद्म सिंह से पूछा गया कि जब बकरी खत्म हो जाएगी तो कैसे करेंगे तो उनका जवाब विनोद कापड़ी को झझकोर कर रख दिया। पद्म सिंह ने कहा कि बकरियां खत्म होने से पहले तो हम खत्म हो जाएंगे। बस यही बात डायरेक्टर को प्रभावित कर गई और उन्होंने ऐसी फिल्म बना डाली जिसकी चर्चा अब विदेशों में भी होने लगी है।
This is like a FAIRY TALE
Non Actors .. Best Actors ?
Himalayan Villagers ..Best Actors ??80 year old Retired Indian Army soldier- Battling cancer ..
70 year old widow , lost her husband 25 years ago- depends on her buffalo and grass from Jungle ..
They have never… pic.twitter.com/CzYSaoVkPv
— Vinod Kapri (@vinodkapri) April 22, 2025