किया था लव मैरिज, PM इंदिरा गांधी की कार पर ठोक दिया था जुर्माना, जन्मदिन पर जानें किरण बेदी के बारे में

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  • Publish Date - June 9, 2023 / 07:12 AM IST,
    Updated On - June 9, 2023 / 04:48 PM IST

Happy Birthday Kiran Bedi: नई दिल्ली: महिला सशक्तीकरण की बेहतरीन मिसाल और देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी का जन्म 9 जून 1949 को पंजाब के अमृतसर में हुआ है। वे आज किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है। इस कामयाबी का श्रेय वैसे तो वो अपने माता-पिता को देतीं हैं लेकिन हम उनकी कड़ी मेहनत को भी नजर अंदाज नहीं कर सकते। जिंदगी को अलग नजरिए से जीने का जुनून रखने वाली डॉ. किरण बेदी ने उपलब्धियों की शुरुआत टेनिस से की। ऑल इंडिया और ऑल एशियन टेनिस चैंपियनशिप विजेता बनने के बाद उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा में जाने का लक्ष्य तय किया। देश की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी बनकर इंडियन पुलिस सर्विस ज्वाइन की। अब वे भाजपा में शामिल हो गई हैं।

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किरण बेदी की शादी ब्रृज बेदी से हुई थी। जिन्हें खुद किरण बेदी ने प्रपोज किया था। किरण बेदी की एक बेटी साइना भी है जो कि एक सोशल वर्कर है और कई एनजीओ चलातीं हैं। उन्होंने एक कंपनी भी बनाई है जिसके अंतर्गत एक टीवी सीरियल भी बनाया है। इस टीवी सीरियल का नाम है ‘गलती किसकी है’, ये टीवी सीरियल किरण बेदी की किताब पर आधारित था। साइना कई शॉर्ट फिल्मों का भी निर्माण कर चुकी हैं।

साइना लोगों की समस्याएं भी सुनती है। उनका दफ्तर लोगों के लिए हमेशा खुला रहता है। वे सोच विचार करने के बाद लोगों को मदद उपलब्ध करातीं हैं। (Happy Birthday Kiran Bedi) साइना की शादी रुजबेह नामक एक लेखक से हुई है। वे एक पत्रकार और लेखक है। अब तक वे कई किताबें प्रकाशित कर चुके हैं।

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उन्होंने आईपीएस बनने के बाद बहुत ही बेहतरीन काम किया। अपने कार्यकाल के दौरान वो कड़े फैसले लेने से भी बिल्कुल नहीं हिचकिचाईं। उनके तमाम कठोर निर्णयों का आज भी उदाहरण दिया जाता है। उन्होंने इस दौरान तमाम सुधारवादी काम भी किए। जिसके चलते 1994 में एशिया का नोबेल कहा जाने वाला ‘रेमन मैग्सेसे’ पुरस्कार उन्हें दिया गया। उन्होंने नशे की रोकथाम के लिए भी व्यापक अभियान चलाया था। इसके अलावा उनकी सेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया। साल 2007 में उन्होंने अपनी सेवाओं से स्वैच्छिक रूप से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह पूरी तरह से समाज सेवा के काम में लग गईं। 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे द्वारा किए गए आंदोलन में वह प्रमुख नेताओं में थीं। बाद में उन्होंने भाजपा के साथ राजनीतिक सफर का रास्ता चुना। वह पुडुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर के पद पर भी रहीं।

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