सावधान..! कोरोना संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाओं के गर्भ में बच्चों का ये अंग हो रहा डैमेज, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
सावधान..! कोरोना संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाओं के गर्भ में बच्चों का ये अंग हो रहा डैमेज This organ of children is getting damaged in the womb of corona infected pregnant women
brain damage of children in the womb of corona infected pregnant women
brain damage of children in the womb of corona infected pregnant women: नई दिल्ली। देश में कोरोना तेजी से फैल रहा है। इस बीच कोरोना संक्रमण को लेकर जैसे-जैसे नई रिसर्च की जा रही हैं, वैसे-वैसे ही चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अमेरिका के फ्लोरिडा की यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी (University of Miami) ने गर्भवती महिलाओं पर कोरोना के प्रभाव को लेकर एक स्टडी की है, जिसे जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी के मुताबिक, अमेरिका में कोविड पॉजिटिव गर्भवति महिलाओं के बच्चों का ब्रेन डैमेज पाया गया है। वे गर्भ के दौरान कोविड से संक्रमित हुई थीं और संक्रमण प्लेसेंटा में प्रेवश कर गया था।
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क्या है प्लेसेंटा
प्लेसेंटा एक अंग होता है, जो महिलाओं की प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय में विकसित होता है। भ्रूण तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने का काम प्लेसेंटा ही करता है। इसका मुख्य काम मां के शरीर से रक्त का पोषण भ्रूण के शरीर तक पहुंचाना होता है, जिससे भ्रूण लगातार विकसित होता रहे।
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नवजात के मस्तिष्क को पहुंचाता है नुकसान
दरअसल, पहले डॉक्टर्स के पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं था कि कोविड-19 वायरस गर्भ में पल रहे बच्चे या नवजात के मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचाता है, लेकिन जब नई स्टडी की गई तो यह बात कंफर्म हो गई है। जिन दो बच्चों पर रिसर्च की गई है, उनकी माताएं गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में कोविड संक्रमित हो गई थीं। इन नवजातों को पैदा होने के पहले दिन से ही दौरे पड़ते थे। हालांकि, जीका वायरस की तरह ये बच्चे छोटे सिर (माइक्रोसेफली) के साथ पैदा नहीं हुए थे। दोनों नवजातों में डेवलपमेंट संबंधी कई रुकावटें थीं। इसमें से एक बच्चे की मौत 13 महीने में ही हो गई, जबकि दूसरे बच्चे को विशेष देखभाल के बीच रखा गया है।
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गर्भनाल में वायरस के प्रमाण मिले
मियामी विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा के सहायक प्रोफेसर डॉ. मर्लिन बेनी ने बताया कि बच्चों का कोरोना टेस्ट करने पर उनकी रिपोर्ट कोविड-19 पॉजिटिव नहीं आई, लेकिन उनके खून में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी की मात्रा काफी ज्यादा मिली। जांच में पता चला कि वायरस मां के प्लेसेंटा को पार कर बच्चे तक पहुंच गया। जांच में दोनों मांओं की गर्भनाल में वायरस के प्रमाण मिले। 13 महीने बाद मृत बच्चे के शव की ऑटोप्सी करने पर पता चला कि बच्चे के दिमाग में वायरस की मौजूदगी थी। दोनों महिलाओं की जांच करने पर उनमें कोरोना वायरस की पुष्टि हुई। हालांकि, इनमें से एक को कोरोना के हल्के लक्षण ही थे और उन्होंने 9 महीने की गर्भावस्था पूरी होने के बाद बच्चे को जन्म दिया, जबकि दूसरी महिला इतनी ज्यादा बीमार हो गई कि 32 सप्ताह (7.4 महीने) में ही उसे बच्चे को जन्म देना पड़ा।
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लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें
brain damage of children in the womb of corona infected pregnant women: मियामी विश्वविद्यालय में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि ये केस दुर्लभ थे। उन्होंने गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 से संक्रमित होने वाली महिलाओं से अपील की है कि अगर उनके बच्चे के डेवलपमेंट में देरी हो रही है तो वह बाल रोग विशेषज्ञों से संपर्क करें। हालांकि, उन्होंने कहा कि 7-8 साल की उम्र तक इसकी पहचान कर पाना भी काफी मुश्किल है, जब तक कि बच्चे स्कूल नहीं जाने लगते। उन्होंने आगे कहा कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के बारे में प्लानिंग कर रही हैं, उन्हें तुरंत कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन लगवानी चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं को भी वैक्सीनेशन पर विचार करना चाहिए।
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