IBC24 Mind Summit: मिनी एम्स के नाम से जाना जाता था सीएम साय का दिल्ली आवास! पीएम राहत कोष से गरीबों के इलाज के लिए निकलवाए थे इतने रुपए
IBC24 Mind Summit : मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमार जनों का इलाज कराना मेरी हॉबी में है और जब हम एमएलए बने तब से इसमें विशेष रुचि है और जब सांसद बने 99 में तो उस समय एक ही एम्स होता था दिल्ली में और भारी प्रेशर होता था।
- पूरे देश से लोग इलाज के लिए जाते थे दिल्ली एम्स : CM Sai
- रूम को बना के रखते थे पूरा मिनी एम्स : CM Sai
- मेरी हर चिट्ठी में स्वीकृत करते थे पैसा : CM Sai
IBC24 Mind Summit: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर आज मध्य भारत का सबसे बड़ा और विश्वसनीय न्यूज चैनल आईबीसी 24 छत्तीसगढ़ सरकार को ‘माइंड समिट’ के तौर पर मंच प्रदान कर रहा है। इस समिट में हम छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रियों से जहां उनके दो साल के अनुभव पर चर्चा कर रहे हैं, तो वहीं आने वाले तीन सालों के लिए विकास और जनकल्याण के रोडमैप को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं।
इस दौरान आईबीसी24 के मंच पर आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सरकार की दो साल की उपलब्धियां बताई और कई सवालों के जवाब भी दिए।
जब मुख्यमंत्री से यह पूछा गया कि जब आप केंद्र में थे, दिल्ली में सांसद रहे केंद्रीय राज्य मंत्री रहे तब ऐसा सुनने में आता है कि जो आपका आवास था वहां पर तो वो मिनी एम्स के नाम से जाना जाता था। छत्तीसगढ़ से लोग आके वहां पर रुकते थे उनकी आप उनकी मदद करते थे। उसके बारे में कुछ किस्सा हमारे दर्शकों को बताइए।
पूरे देश से लोग इलाज के लिए जाते थे दिल्ली एम्स
IBC24 Mind Summit: इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमार जनों का इलाज कराना मेरी हॉबी में है और जब हम एमएलए बने तब से इसमें विशेष रुचि है और जब सांसद बने 99 में तो उस समय एक ही एम्स होता था दिल्ली में और भारी प्रेशर होता था। पूरे देश से लोग इलाज के लिए जाते थे तो हमारे क्षेत्र से भी बहुत जाते थे, ऐसा केस पहली बार आया, जब एक हमारे क्षेत्र का ही ड्राइवर था और ड्राइवर का एक्सीडेंट हो गया था तो यहां पर उसको चोट आई थी और मांस का लोथड़ा बढ़ के 16 किलो का हो गया था। तो हमेशा वो चादर ओढ़े रहता था। जैसे बच्चे को गोदी किया है। बाद में उसको ड्राइविंग करने में भी दिक्कत आने लगा। काहे कि स्टीयरिंग और वो बीच में वो प्रॉब्लम होता था। जब वह हमारे सामने आया तो हम उसको एम्स में ले गए और 16 किलो का मांस का लोथड़ा काट के निकाले थे। वहां बहुत प्रेशर होता था और एक-एक फ्लैट हम लोगों को मिलता था वहां पर दिल्ली में सांसद के नाते, हमेशा भरे रहते थे।
रूम को बना के रखते थे पूरा मिनी एम्स
सीएम ने कहा कि हम अपना खाली एक बेड भर सुरक्षित रखते थे। दिलीप सिंह दुबे जी उस समय सांसद होते थे और अटल जी की सरकार में राजमंत्री के रूप में भी काम किए तो कभी-कभी अचानक वो हमारे रूम में आ जाते थे। वाकिंग में निकलते थे तो हमारे फ्लैट के नीचे ही चाय का कैंटीन था तो कभी-कभी वो चाय पी के हमारे यहां जाते थे। तो देखते थे पूरा सामान बिखरा पड़ा है। ऐसा वैसा है बोलते थे यार तुम रहते कैसे हो ऐसे में तो पूरा मिनी एम्स बना के रखे हो। फिर हम लोगों ने निवेदन किया था श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी से कि आप अन्य प्रदेशों में भी एम्स के ब्रांचेस खोलेंगे तो यहां जो प्रेशर है वो कम होगा और उन्होंने हम लोगों की बात मानी थी और उस समय छह प्रदेशों में एम्स की स्वीकृति हुई थी जिसमें हमारा छत्तीसगढ़ भी था।
मेरी हर चिट्ठी में स्वीकृत करते थे पैसा
IBC24 Mind Summit: उस समय यहां सरकार अपनी थी छत्तीसगढ़ में 2000 के बाद में तो डॉक्टर साहब भी बोलते थे कि सबसे ज्यादा अगर कोई चिट्ठी लिखता है बीमारी की इलाज के लिए तो आप ही लिखते हो और उनको भी हम धन्यवाद देना चाहेंगे कि हर चिट्ठी में वो पैसा स्वीकृत करते थे। इस तरह से मतलब ये हमारी हॉबी ही रही है और उस समय प्रधानमंत्री राहत कोष होता है, एक पीएम साहब के अंडर में तो जब नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने तो उसमें उन्होंने टाइम फिक्स कर दिया, मतलब पैसा सेंशन होना चाहिए और संबंधित अस्पताल के अकाउंट में पैसा मतलब जाना चाहिए। हमको जब अगले चुनाव की तैयारी करनी थी।
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