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Mathura Krishna Janmabhoomi dispute: मथुरा ईदगाह मस्जिद को विवादित सरंचना मानने की अर्जी खारिज, मंदिर पक्ष को हाई कोर्ट से बड़ा झटका
Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah Mosque dispute: मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मंदिर पक्ष की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें भविष्य की सभी कार्यवाहियों में ईदगाह मस्जिद को विवादित संरचना के रूप में संदर्भित करने की मांग की गई थी
उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई
मथुरा की ईदगाह मस्जिद के खिलाफ हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज
ज्ञानवापी मस्जिद में वुजुखाना सर्वे मामले की सुनवाई अगले महीने
प्रयागराज: Allahabad High Court big decision , इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मंदिर पक्ष की उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें भविष्य की सभी कार्यवाहियों में ईदगाह मस्जिद को विवादित संरचना के रूप में संदर्भित करने की मांग की गई थी।
आपको बता दें कि यह अर्जी इस मामले में पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दाखिल की थी। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने बीती 23 मई को इस मांग को लेकर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ने शुक्रवार को यह निर्णय सुना दिया है।
Krishna Janmabhoomi Shahi Idgah Mosque dispute case in Mathura, उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों को लेकर आज यानि शुक्रवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मथुरा की ईदगाह मस्जिद को विवादित सरंचना मानने की मंदिर पक्ष की अर्जी खारिज कर दिया। उपासना स्थल कानून की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई पूरी नहीं हुई है। वहीं वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में वुजुखाना सर्वे मामले की सुनवाई अब छह अगस्त को होगी।
हाई कोर्ट ने मंदिर पक्ष की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को "विवादित संरचना" के रूप में माना जाए। कोर्ट ने कहा कि अभी ऐसा कोई औपचारिक निर्णय नहीं हुआ है जिससे इसे विवादित घोषित किया जाए।
यह अर्जी किसने दाखिल की थी और किसने फैसला सुनाया?
यह अर्जी महेंद्र प्रताप सिंह (मंदिर पक्ष के अधिवक्ता और पक्षकार) ने दाखिल की थी। सुनवाई न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ द्वारा की गई थी, और निर्णय 23 मई को सुनवाई के बाद सुरक्षित रखकर 4 जुलाई को सुनाया गया।
कोर्ट ने अर्जी क्यों खारिज की?
कोर्ट का कहना है कि जब तक पूरा मामला कानूनी रूप से तय नहीं होता, कोई भी धार्मिक स्थल विवादित है या नहीं, यह एकपक्षीय रूप से घोषित नहीं किया जा सकता। यह मामला संवेदनशील है और इसमें संविधान और कानून का पालन जरूरी है।
इस फैसले का बड़े स्तर पर क्या असर पड़ेगा?
इस फैसले से स्पष्ट संकेत है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में "उपासना स्थल कानून 1991" (Places of Worship Act) की वैधता पर फैसला नहीं आता, तब तक ऐसे मामलों में कोई ठोस कानूनी स्थिति नहीं बन सकती। यह वाराणसी की ज्ञानवापी और अन्य ऐसे विवादों पर भी असर डाल सकता है।
आगे इस मामले की सुनवाई कब और कैसे होगी?
अब यह मामला अपने सामान्य कानूनी क्रम में आगे बढ़ेगा। चूंकि शाही ईदगाह और जन्मभूमि विवाद से जुड़ी अन्य याचिकाएं भी लंबित हैं, अदालत प्रत्येक पक्ष की दलीलों और साक्ष्यों के आधार पर सुनवाई करती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट में लंबित "उपासना स्थल कानून" की वैधता पर निर्णय इस विवाद को दिशा दे सकता है।