CG GUEST LECTURER CONTROVERSY, image source: ibc24
रायपुर: CG GUEST LECTURER CONTROVERSY, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 18 अगस्त को जारी एक नए नियम ने छत्तीसगढ़ के स्थानीय बेरोजगार युवकों में कूट कूटकर नाराजगी पैदाकर दी है। दरअसल, उच्च शिक्षा आयुक्त ने हाल ही में महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता की भर्ती के लिए नया आदेश जारी किया है। ये नया नियम विवाद की वजह बन गया है। इसे लेकर प्रदेश के युवा अभ्यर्थियों में गहरी नाराज़गी है। उच्च शिक्षा आयुक्त के द्वारा जारी इस आदेश के अनुसार अब केवल समान अंक होने की स्थिति में ही स्थानीय (छत्तीसगढ़ के) उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
CG GUEST LECTURER CONTROVERSY: आपको बता दें कि पहले के जारी विज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसी भरोसे पर प्रदेशभर के पीएचडी, नेट और सेट पास अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन हालिया आदेश में इस शर्त को बदल दिया गया है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अब केवल समान अंक होने की स्थिति में ही छत्तीसगढ़ के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। अन्यथा बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी भी बराबरी से दावेदार होंगे। यानी पहले की नीति में योग्यता का तय पैमाना होने पर स्थानीय युवाओं को सीधी प्राथमिकता मिल रही थी। स्थानीय स्तर पर योग्य उम्मीदवार नहीं होने की स्थिति में ही दूसरे राज्य के लोगों को रखा जाना था।
छत्तीसगढ़ के युवाओं का कहना है कि उम्मीदवारों के समान अंक होने की गुजाइंश न के बराबर होती है। ऐसे में इस नियम से छत्तीसगढ़ के युवाओं के साथ छलावा किया गयाा है। बेरोजगार युवाओं का कहना है कि जब वे यहीं रहकर पढ़ाई करते हैं, परीक्षाएं पास करते हैं, तो नौकरी का पहला अधिकार उनका होना चाहिए। अगर अपने ही राज्य में हमें प्राथमिकता नहीं मिलेगी, तो फिर हम कहां जाएं?
उम्मीदवारों का कहना है कि पहले हमे उम्मीद थी कि हमें प्राथमिकता मिलेगी, लेकिन अब हमारे सपनों पर इस सरकार ने पानी फेर दिया है। वहीं मीडिया से बात करते हुए एक अभ्यर्थी ने कहा कि ”मैं 3 बार NET CET क्वालिफाई हूं, बावजूद इसके जब हम आवेदन करते हैं तो लिस्ट में बहुत नीचे होते हैं। दूर दूर तक नाम ही नहीं होता है।”
छत्तीसगढ़ के युवाओं का सवाल है कि जब बाकी राज्यों में स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है, तो यहां सरकार ने उल्टा नियम क्यों बनाया? दूसरे राज्यों में बाहरी लोगों को बैकअप माना जाता है, लेकिन यहां बाहर वालों को पहले मौका दिया जा रहा है, ये हमारे साथ अन्याय है।
इस बात से नाराज, NET और SET पास अभ्यर्थियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो वे आंदोलन शुरू करेंगे। इसके साथ ही युवाओं ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में होने वाले चुनावों में राजनीतिक दलों को यह याद दिलाया जाएगा कि आपको वोट देकर यहां के स्थानीय युवा ही जिताकर सरकार में बैठाते हैं। ऐसे में यदि सरकार का रवैया नहीं बदला तो आने वाले चुनाव का स्थानीय युवा मिलकर इस सरकार को सबक सिखाएंगे।
भर्ती में छत्तीसगढ़ के युवाओं को पहली प्राथमिकता दी जाए।
नए आदेश को रद्द कर पुराना नियम वापस लाया जाए।
पूरी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई है। कांग्रेस ने साय सरकार को छत्तीसगढ़िया युवाओं का विरोधी बताया है। कांग्रेस ने कहा कि इस सरकार ने पहले तो गौठान बंद किया फिर आदिवासियों का उत्सव मनाना बंद किया अब ये फैसला लेकर युवाओं के हितों के साथ कुठाराघात किया गया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि अतिथि शिक्षक जैसे पद जो रेगुलर भी नहीं है उस पर भी प्रदेश के युवाओं को दरकिनार किया जा रहा है। भाजपा सरकार लगातार युवाओं से छल कर रही है।
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