Caste census: जाति जनगणना की घोषणा को तेजस्वी यादव ने अपनी जीत बताया, अब आगे आरक्षित सीटों का रखा लक्ष्य |

Caste census: जाति जनगणना की घोषणा को तेजस्वी यादव ने अपनी जीत बताया, अब आगे आरक्षित सीटों का रखा लक्ष्य

Tejashwi Yadav on caste census: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि, "राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।"

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Modified Date: April 30, 2025 / 06:08 PM IST
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Published Date: April 30, 2025 6:06 pm IST
HIGHLIGHTS
  • जाति जनगणना की घोषणा हमारे पूर्वजों तथा समाजवादियों की जीत: तेजस्वी यादव
  • जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल करने का फैसला
  • जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पटना (बिहार): Tejashwi Yadav on caste census केंद्र सरकार ने जाति जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा बनाने की घोषणा पर RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “ये हम लोग की 30 वर्ष पुरानी मांग रही है और ये हमारे पूर्वजों तथा समाजवादियों की जीत है और लालू जी की जीत है। पूर्व में हम बिहार के दल को लेकर पीएम से मिलने गए थे लेकिन तब पीएम ने इसे मना कर दिया था लेकिन आज हम लोग की ताकत देखिए और समाजवादियों की ताकत देखिए कि इनको हमारे ही एजेंडे पर काम करना पड़ रहा है।

तेजस्वी यादव ने कहा कि अब हमारी अगली लड़ाई देश के विधानसभा चुनावों में हमारी मांग रहेगी कि पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए भी जैसे दलित और आदिवासियों भाईयों के लिए आरक्षित सीटें हैं उसी प्रकार से पिछड़ों और अति पिछड़ों का भी आरक्षित सीटें हों…”

बता दें ​कि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि, “राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।”

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वहीं केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जाति जनगणना को राष्ट्रीय जनगणना में शामिल किए जाने की घोषणा पर केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक फैसला है, जिसके लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करता हूं…मुझे लगता है कि हमारी एक जो लंबे समय से इच्छा और मांग थी, आज हर देशवासी की उस इच्छा को प्रधानमंत्री मोदी ने पूरा करने का कार्य किया है…आज एक बार फिर से साबित हो गया है कि हमारी सरकार हर उस फैसले को लेगी जो जनता के हित में हो, गरीबों के हित में हो…”

जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हम लोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री मोदी का अभिनंदन तथा धन्यवाद।”

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जाति जनगणना क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: जाति जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें देश की पूरी आबादी की जातीय पहचान दर्ज की जाती है। इससे यह जानने में मदद मिलती है कि किस जाति की आबादी कितनी है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है। यह आंकड़े नीति निर्माण, आरक्षण नीति में संशोधन और सामाजिक न्याय की योजनाएं बनाने के लिए जरूरी माने जाते हैं।

क्या यह पहली बार है जब जाति जनगणना होगी?

उत्तर: नहीं, स्वतंत्र भारत में पहली बार 1931 में जाति आधारित जनगणना की गई थी। हालांकि, 2011 में "सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना" (SECC) की गई थी, लेकिन उसमें जातीय डेटा को सार्वजनिक नहीं किया गया था। यह पहली बार होगा जब इसे आधिकारिक राष्ट्रीय जनगणना का हिस्सा बनाया जा रहा है।

तेजस्वी यादव ने इसे अपनी जीत क्यों बताया?

उत्तर: तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी RJD लंबे समय से जाति जनगणना की मांग कर रही थी। वे इसे पिछड़ों, अति पिछड़ों और वंचित वर्गों के लिए नीतियों को अधिक सटीक और न्यायसंगत बनाने का जरिया मानते हैं। केंद्र द्वारा यह फैसला लेने को उन्होंने समाजवादी आंदोलन और लालू प्रसाद यादव की विचारधारा की जीत बताया है।

क्या जाति जनगणना के बाद आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ सकती है?

उत्तर: संभावना है। तेजस्वी यादव जैसे नेता अब यह मांग कर रहे हैं कि दलितों और आदिवासियों की तरह पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के लिए भी विधानसभाओं और संसद में आरक्षित सीटें तय की जाएं। जातिगत आंकड़ों के सार्वजनिक होने के बाद ऐसी मांगों को नया बल मिल सकता है।

क्या यह फैसला राजनीतिक है या सामाजिक जरूरत?

उत्तर: यह फैसला दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। सामाजिक रूप से यह वंचित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने में सहायक हो सकता है, वहीं राजनीतिक दृष्टि से इसे विभिन्न दल अपने एजेंडे के तहत इस्तेमाल कर सकते हैं, खासकर चुनावों से पहले। इसका असर राजनीति में दलों की रणनीतियों पर जरूर पड़ेगा।