हाईकोर्ट ने खारिज की नक्सलियों की ये अपील, हमले में शहीद हुए थे 15 जवान और 4 आम नागरिक..जानें मामला

High Court rejected Naxalites appeal: कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साजिश हमेशा गुप्त रूप से रची जाती है और ऐसा करना मुश्किल हो सकता है इसके प्रत्यक्ष साक्ष्य जोड़ें। प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य ऐसे साक्ष्यों से निस्संदेह सिद्ध होता है।

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  • Publish Date - February 20, 2025 / 08:39 PM IST,
    Updated On - February 20, 2025 / 08:40 PM IST

High Court rejected Naxalites appeal, image source: ibc24

HIGHLIGHTS
  • कोर्ट ने नक्सली हमले को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया
  • आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए थे 15 सुरक्षा कर्मी व 4 आम नागरिक

बिलासपुर: High Court rejected Naxalites appeal, 11 मार्च 2014 में आईईडी ब्लास्ट कर 15 सुरक्षा कर्मी व 4 आम नागरिकों को शहीद करने वाली नक्सलियों की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने नक्सली हमले को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साजिश हमेशा गुप्त रूप से रची जाती है और ऐसा करना मुश्किल हो सकता है इसके प्रत्यक्ष साक्ष्य जोड़ें। प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य ऐसे साक्ष्यों से निस्संदेह सिद्ध होता है।

बता दें, कि 11.03.2014 को टाहकवारा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 30, एक सड़क दल जिसमें 30 कर्मी शामिल थे। 80 वीं बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की ‘एफ’ कंपनी सीआरपीएफ और 13 पुलिस कर्मी तोंगपाल पुलिस स्टेशन के 13 पुलिस कर्मी शामिल थे। सड़क निर्माण में लगे कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए। रोड ओपनिग पार्टी (आरओपी) प्रात: 09:00 बजे 03 अनुभागों में थाना तोंगपाल से रवाना हुए।

High Court rejected Naxalites appeal, जब पहला खंड करीब 04 किमी दूर ग्राम टाहकवारा के पास पहुंचा सुबह करीब 10,30 बजे पुलिस थाना तोंगपाल दरभा की ओर हथियारों से लैस दरभा डिवीजन के माओवादी कैडरों का नेतृत्व सुरेंद्र, देवा, विनोद, सोनाधर ने आरओपी पर घात लगाकर हमला कर दिया। करीब एक घंटे तक फायरिग होती रही। फायरिग और आईईडी विस्फोट पर 15 सुरक्षाकर्मी (11 सीआरपीएफ और 04 राज्य पुलिस कर्मी, 03 अन्य कर्मी शहीद हो गए। वहीं गंभीर रूप से घायल पास से गुजर रहे एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हो गई।

लगभग 150 माओवादिओं के खिलाफ जुर्म दर्ज

घटना के बाद माओवादी, शहीदों और घायल कर्मियों के हथियार और सामान लूट लिया, जो इसमें 3 अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर समेत 6 एके-47 राइफलें शामिल हैं (यूबीजीएल) भी लगाए गए। एक इंसास एलएमजी, 8- इंसास और 2 एसएलआर और गोलियां भी शामिल थीं, हथियार लूटने के बाद नक्सली दोनों तरफ जंगल में भाग गये। हेड कांस्टेबल की लिखित शिकायत पर सन्ना, सुरेंद्र, गणेश उइके, रघु, सुखराम, विनोद, सुमित्रा, देवा, पूजा, जमीली, मासा, नरेश, अनिल, हिड़मे, देवे, लक्की, जोगी, बुधराम और लगभग 150 से 200 माओवादी के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया।

सुनाई गई थी आजीवन कारावास की सजा

इसके बाद 21.03.2014 को एनआईए को जांच सौंप गया। एनआईए ने आरोपियों के विरूद्ब धारा 302, 377, 120 बी आईपीसी, धारा- 25 (1) के तहत (1बी)(ए), 27 शस्त्र अधिनियम…यूएपीए की धारा 20, 23, 38 (2) के तहत आरोप पत्र पेश किया। विशेष न्यायालय जगदलपुर ने सभी पक्षों को सुनने के बाद माओवादी कवासी जोगा निवासी अंडालपारा, चांदामेटा, थाना-दरभा, जिला-बस्तर, छ.ग. दयाराम बघेल उर्फ रमेश अन्ना बघेल, निवासी ग्राम कुमा कोलेंग बोदावाड़ा, पुलिस थाना- तोंगपाल, जिला सुकमा, मनीराम कोर्राम उर्फ बोटी निवासी चांदामेटा, थाना-दरभा, जिला-बस्तर, छ.ग, महादेव नाग निवासी पटेलपारा, कांदानार, थाना-दरभा, जिला-बस्तर सहित अन्य को सभी धाराओं में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीबी में सुनवाई

इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की। सभी के अपील पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीबी में सुनवाई हुई। डीबी ने अपने आदेश में कहा कि सुरक्षा बलों पर नक्सलियों द्बारा किये गये हमले/घात सिर्फ आपराधिक कृत्य नहीं हैं। लेकिन यह एक बड़े विद्रोह का हिस्सा हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा, कानून के लिए खतरा है। व्यवस्था, और लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए ये हमले पूर्व नियोजित हैं।

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हाईकोर्ट ने नक्सलियों की अपील को क्यों खारिज किया?

कोर्ट ने हमले को सिर्फ एक आपराधिक कृत्य नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। साथ ही, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उनकी संलिप्तता सिद्ध मानी गई।

यह हमला कब और कहाँ हुआ था?

यह हमला 11 मार्च 2014 को छत्तीसगढ़ के टाहकवारा गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-30 पर हुआ था, जब सुरक्षा बल सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा में तैनात थे।

हमले में कितने लोग शहीद हुए और कौन-कौन शामिल थे?

इस हमले में 15 सुरक्षाकर्मी (11 सीआरपीएफ और 4 राज्य पुलिसकर्मी) और 4 आम नागरिक शहीद हुए थे। करीब 150-200 माओवादी इसमें शामिल थे।

किन धाराओं के तहत नक्सलियों को सजा हुई थी?

नक्सलियों को IPC की धारा 302, 377, 120B, शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1)(1B)(A), 27, और UAPA की धारा 20, 23, 38(2) के तहत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।