Contract Employees Regularization Rejected : इन संविदा कर्मचारियों को ​​बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका! नियमितिकरण की मांग की याचिका खारिज

Contract Employees Regularization Rejected; जस्टिस दुबे ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए अपने फैसले में लिखा है कि संविदा कर्मचारियों को सेवा विस्तार का अधिकार नहीं होता।

Contract Employees Regularization Rejected : इन संविदा कर्मचारियों को ​​बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका! नियमितिकरण की मांग की याचिका खारिज
Modified Date: June 3, 2025 / 10:32 pm IST
Published Date: June 3, 2025 10:31 pm IST
HIGHLIGHTS
  • संविदा कर्मचारियों को सेवा विस्तार का अधिकार नहीं
  • नियमितीकरण का दावा भी नहीं किया जा सकता
  • CIMS में संविदा पर काम कर चुके कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका

बिलासपुर: contract employees regularization rejected, बिलासपुर के छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (CIMS) में संविदा पर काम कर चुके कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। नियमितिकरण की मांग करते हुए लगाई गई याचिकाओं को जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया।

जस्टिस दुबे ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए अपने फैसले में लिखा है कि संविदा कर्मचारियों को सेवा विस्तार का अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने यह भी कहा है कि, प्रक्रिया के तहत याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति नहीं हुई, तो नियमितीकरण का दावा भी नहीं किया जा सकता।

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30 जून 2015 को संविदा नियुक्ति समाप्त

contract employees regularization rejected ; दरअसल, सिम्स में यदुनंदन पोर्चे, जगदीश मुखी, सुनील सिंह, अनिल श्रीवास्तव समेत 23 लोगों की संविदा नियुक्ति हुई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है, कि संविदा नियुक्ति के बाद वर्ष 1996, 2001, 2002, 2003, 2005 और 2008 से कार्य कर रहे थे। सिम्स के डीन संविदा अवधि समाप्त होने की बात करते हुए 1 जून 2015 को नोटिस जारी किया, जिसके एक महीने के भीतर 30 जून 2015 को संविदा नियुक्ति समाप्त कर दी गई।

5 जून 2015 को नए संविदा पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि संविदा नियुक्ति को समाप्त करने के बाद 5 जून 2015 को नए संविदा पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया और उन्हीं पदों पर संविदा भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिस पद पर वे काम कर रहे थे।

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मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद यह तय किया गया था कि, पांच साल से अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवाएं नियमितीकरण तक जारी रहेंगी। डीन ने 5 अप्रैल 2011 को इस पर सहमति जताई थी, इसके बावजूद 1 जून 2015 को सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया ।


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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com