MP News: बेटा हो तो ऐसा!.. वकील बनकर हाईकोर्ट में लड़ा केस, 12 साल बाद लौटाई पिता की खोई हुई प्रतिष्ठा

वकील बनकर हाईकोर्ट में लड़ा केस, 12 साल बाद लौटाई पिता की खोई हुई प्रतिष्ठा, Became a lawyer and fought the case in court, father's lost reputation returned after 12 years

MP News: बेटा हो तो ऐसा!.. वकील बनकर हाईकोर्ट में लड़ा केस, 12 साल बाद लौटाई पिता की खोई हुई प्रतिष्ठा

MP News: Image Source-IBC24

Modified Date: April 20, 2025 / 12:13 am IST
Published Date: April 19, 2025 11:36 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मिथिलेश पाण्डेय को 2013 में आय से अधिक संपत्ति के आरोप में बर्खास्त किया गया था
  • जबलपुर हाईकोर्ट ने अभिषेक की ठोस पैरवी के आधार पर मिथिलेश की हुई वापसी

विजेन्द्र पाण्डेय, रामभुवन गौतम, जबलपुर/अनूपपुर: MP News:  अदालत में देर हो सकती है पर अंधेर नहीं, इस बात पर यकीन करके एक युवक ने कानून की पढ़ाई की और वकील बनकर अपने पिता को इंसाफ दिलाया। कहानी अनूपपुर में पदस्थ पुलिस आरक्षक मिथिलेश पाण्डेय और उनके वकील बेटे अभिषेक पाण्डेय की है, जो 12 साल कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद जीत हासिल की।

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MP News:  अनूपपुर के जमुना कॉलरी के पुलिस आरक्षक मिथिलेश पाण्डेय के घर जश्न का माहौल है। 12 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मिथिलेश को पुलिस आरक्षक की वर्दी वापस मिल गई। परिजनों के लिए ये दोहरे जश्न का समय है. क्योंकि मिथिलेश को ये जीत उनके ही बेटे अभिषेक ने वकील बनकर दिलाई है। दरअसल, मिथिलेश पाण्डेय 12 साल पहले यानि साल 2013 में उमरिया पुलिस लाईन में पदस्थ थे। तब उनको आय से अधिक संपत्ति के आरोप में सेवा से हटा दिया था। अधिकारियों से गुहार के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तो उन्होने दिसंबर 2013 में जबलपुर हाईकोर्ट की शरण ली। सालों तक कोर्ट में केस चलता रहा.. इस बीच उनके बेटे अभिषेक पाण्डेय ने पिता को न्याय दिलाने की ठानी। बेटे ने कानून की पढ़ाई पूरी की.. और 2024 में वकील बनकर जबलपुर हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की। अभिषेक ने सबसे पहला केस अपने पिता का लड़ा। ठोस पैरवी के बाद हाईकोर्ट ने मिथिलेश पाण्डेय को पुलिस विभाग में फिर से बहाल करने का आदेश दिया। इस आदेश ने पाण्डेय परिवार को खुशियों की सौगात दे दी। तो वहीं पिता-पुत्र के रिश्ते में और गर्माहट ले आया है।

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आरक्षक मिथिलेश पाण्डेय जब पुलिस लाईन में पदस्थ थे तो अनूपपुर SP को एक गुमनाम चिट्ठी भेजकर उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत की गई थी। तत्कालीन SP ने सिर्फ 10 दिन में ही जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद DIG-IG के सामने अपील पर भी उनकी सुनवाई नहीं हुई, लेकिन अब हाईकोर्ट ने बेटे अभिषेक पाण्डेय की जिरह के बाद पिता मिथिलेश पर लगे आरोपों को निराधार पाया और उन्हें बाइज्जत बरी करते हुए बहाल करने का फैसला भी सुना दिया।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।