MP Politics: MP के बाबू क्यों हुए बेकाबू? सियासी आरोप-प्रत्यारोप, क्या है हकीकत?

MP Politics: MP के बाबू क्यों हुए बेकाबू? सियासी आरोप-प्रत्यारोप, क्या है हकीकत?

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  • Publish Date - January 25, 2024 / 11:25 PM IST,
    Updated On - January 25, 2024 / 11:25 PM IST

Why did MP's babus go out of control? Political allegations and counter-allegations, what is the reality?

भोपाल। एमपी में बेलगाम अफसरों की कारगुजारी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। किसी वीडियो में कलेक्टर साहब जनता की औकात बताने की धौंस दिखा रहे हैं तो किसी वीडियो में तहसीलदार साहिबा, किसानों को चूजा बता रही हैं और ये सब हो रहा है तब जब खुद एमपी के सीएम कई बार कह चुके हैं कि अफसरों का ऐसा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, तो फिर सवाल ये उठता है कि क्या एमपी में अफसर किसी की नहीं सुनते ?

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भले ही मध्यप्रदेश में सदर बदल गया हो, लेकिन दरबारी नहीं बदले। अब नए सदर को इन दरबारियों की कारगुजारी से दो चार होना पड़ रहा है। ये तस्वीरें बता रही है कि एमपी के नए सीएम मोहन यादव के सामने अफसरों को सुधारने की कितनी बड़ी चुनौती है। एक नहीं बल्कि ये चार वीडियो खुद दावा कर रहे हैं कि अफसर कितने बेलगाम हो चुके हैं। हालांकि, डॉ मोहन यादव ने अपने तेवर साफ कर दिये हैं। चाहे शाजापुर के कलेक्टर हों या फिर सिंगरौली का एसडीएम, मोहन यादव ने शिकायत मिलते ही बेलगाम अफसरों को सज़ा के तौर पर सीधे सस्पेंड कर दिया है।

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सीएम मोहन यादव ने अब तक ड्रायवर को उसकी औकात बताने वाले कलेक्टर किशोर कन्याल, किसानों को चूजा बताने वाली तहसीलदार अंजली गुप्ता, बांधवगढ़ के लाठीबाज एसडीएम अमित सिंह के बाद महिला से जूते के फीते बंधवाने वाले एसडीएम असवान राम पर सख्त एक्शन लेकर ये नज़री पेश की है कि अब ब्यूरोक्रेसी की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी।

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अफसरों की इन हरकतों की वजह से बीजेपी सरकार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। मौके की तलाश में घात लगाए बैठे विपक्ष की तरफ से ताने मिल रहे हैं। पीएम मोदी तक एमपी की बेलगाम अफसरशाही की शिकायतें हो रहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक्स पर पीएमओ को टैग करते हुए लिखा है।

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शाजापुर से सिंगरौली तक ! ऐसी बेलगाम व्यवस्था कब तक? निरंकुश “तंत्र” के सामने, निहत्थे खड़े “लोक” की प्रताड़ना, फिर एक नई कहानी सुना रही है! चिंता/चुनौती यह भी है कि केवल किरदार बदल रहे हैं! नित-नए अध्याय के साथ एक ही कहानी लगातार, बार-बार सामने आ रही है! समझ में नहीं आ रहा @BJP4MP सरकार इतनी बेबस और बेचारी क्यों हो गई है? सीधे मुख्यमंत्री ही रोजाना कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन रत्ती-भर भी फर्क नहीं पड़ रहा है!  हालांकि कांग्रेस का एक धड़ा ये मान रहा है कि मोहन यादव ब्यूरोक्रेसी पर नकेल कसने के लिए काफी हैं।

जाहिर है एमपी की ब्यूरोक्रेसी अब एक्सपोज़ होती जा रही है। महीनेभर के भीतर के ये वायरल वीडियो बता रहे हैं कि ब्यूरोक्रेसी सातवे आसमान पर है। दनादन हो रहे निलंबन के बावजूद अफसर अपनी नीयत में सुधार करने को तैयार नहीं है, वो भी तब जब सामने लोकसभा चुनाव हैं और एमपी के नए सीएम मोहन यादव के सामने इन चुनावों में बीजेपी के लिए बेहतर से बेहतर नतीजे देने की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा है। खैर कांग्रेस ने सरकार औऱ नौकरशाही के बीच बड़ी अदावत शुरु होने के दावे कर आम चुनावों के पहले नयी बहस को छेड़ दिया है।

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