Contract Employees Regularization Latest News: नियमितीकरण पर बड़ा अपडेट! सरकार के सामने रखा जाएगा संविदा कर्मचारियों के परमानेंट का मुद्दा, मिला ये आश्वासन

Contract Employees Regularization Latest News: नियमितीकरण पर बड़ा अपडेट! सरकार के सामने रखा जाएगा संविदा कर्मचारियों के परमानेंट का मुद्दा, मिला ये आश्वासन |

  • Reported By: Nasir Gouri

    ,
  •  
  • Publish Date - March 3, 2025 / 11:03 PM IST,
    Updated On - March 3, 2025 / 11:03 PM IST

Contract Employees Regularization / Image Source: IBC24 Customized

HIGHLIGHTS
  • मध्य प्रदेश में 10 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के बाद शासन की सभी व्यवस्थाएं एकदम ठप हो सकती है।
  • नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को अपनी 09 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपकर कर्मचारी संगठन ने चेतावनी दी है।
  • उमंग सिंगार ने भी ध्यानाकर्षण के दौरान उनकी मांगों को उठाने का आश्वासन दिया है।

ग्वालियर। Contract Employees Regularization Latest News : मध्य प्रदेश में 10 मार्च से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के बाद शासन की सभी व्यवस्थाएं एकदम ठप हो सकती है। प्रदेश के साढ़े चार लाख से ज्यादा कर्मचारी अनिश्चितकालीन काम बंद हड़ताल पर जाने की तैयारी में है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को अपनी 09 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपकर कर्मचारी संगठन ने चेतावनी दी है।

read more: Young Man Died : युवक के गले में फंसी मछली, अस्पताल में तोड़ दिया दम, जानें कैसे हुआ ये हादसा 

दरअसल, प्रदेश के सभी शासकीय कर्मचारियों के साथ संविदा आउटसोर्स कर्मचारी अनिश्चितकालीन काम बंद हड़ताल पर जा सकते हैं। प्रदेश के संयुक्त कर्मचारी संगठन के द्वारा नेता प्रतिपक्ष से उनकी 9 सूत्रीय मांगों को विधानसभा सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण में उठाने के लिए निवेदन किया है। उमंग सिंगार ने भी ध्यानाकर्षण के दौरान उनकी मांगों को उठाने का आश्वासन दिया है। संगठन के पदाधिकारी सुनील पटेरिया का कहना है कि पदोन्नति सहित कर्मचारियों की 52 सूत्रीय मांगे काफी समय से लंबित है। इनमें प्राथमिकता के आधार पर 09 प्रमुख मांगों को उठाया है, जिन्हें विधानसभा सत्र में नेता प्रतिपक्ष को उठाने के लिए ज्ञापन दिया है। यदि ध्यानाकर्षण में मुद्दे उठाने के बाद भी सरकार इस पर सुनवाई करते हुए उन्हें पूरा नहीं करती है, तो विधानसभा सत्र के बाद एक साथ प्रदेश के सभी साढ़े चार लाख से ज्यादा कर्मचारी अनिश्चितकालीन काम बंद हड़ताल पर जाने मजबूर होंगे।

ये है 09 सूत्रीय मांगें

अधिकारी/कर्मचारियों की अकारण बन्द पदोन्नति प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ किया जाए।
गृह भाड़ा भत्ता पुर्नरीक्षण सातवें वेतनमान से किया जाए।
प्रदेश के सभी कर्मचारी/अधिकारी/पैंशनरों को केन्द्र के समान मंहगाई भत्ता दिया जाए।
पेंशनरों के लिये धारा 49 (6) का बंधन समाप्त किया जाए।
35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर अन्य विभागों की भांति शिक्षा विभाग के सहायक शिक्षकों/ शिक्षकों/ प्रधानाध्यपकों को चतुर्थ क्रमोन्नति वेतनमान दिया जाए।
नवीन शिक्षक संवर्ग को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता प्रदान की जाए।
आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करते हुये आउटसोर्स प्रथा समाप्त की जाए।
शिक्षा विभाग में अनुकम्पा नियक्ति हेतु बी.एड. पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
01 अगस्त से 31 दिसम्बर के बीच सेवानिवृत्त होने पर एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाए।

 

1. मध्य प्रदेश के कर्मचारी हड़ताल पर क्यों जा रहे हैं?

मध्य प्रदेश के शासकीय और संविदा आउटसोर्स कर्मचारी अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। उनकी प्रमुख मांगों में पदोन्नति प्रक्रिया का पुनः आरंभ, गृह भाड़ा भत्ते का पुनरीक्षण, और केंद्र के समान महंगाई भत्ता जैसे मुद्दे शामिल हैं।

2. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने क्या आश्वासन दिया है?

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कर्मचारियों के 9 सूत्रीय मांगों को विधानसभा सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण में उठाने का आश्वासन दिया है। वे सरकार से इन मुद्दों पर सुनवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

3. कर्मचारियों की 9 सूत्रीय मांगों में क्या शामिल है?

इन 9 सूत्रीय मांगों में प्रमुख रूप से अकारण पदोन्नति प्रक्रिया को फिर से शुरू करना, गृह भाड़ा भत्ते का सातवें वेतनमान से पुनरीक्षण, और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करना जैसी मांगें शामिल हैं।

4. क्या आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा?

कर्मचारी संगठन ने आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने और आउटसोर्स प्रथा को समाप्त करने की मांग की है। यह एक प्रमुख मांग है जिसे यदि विधानसभा सत्र के दौरान पूरा नहीं किया जाता, तो कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं।

5. कर्मचारी संगठन के मुताबिक, हड़ताल कब शुरू हो सकती है?

यदि सरकार इन मांगों पर सुनवाई नहीं करती है, तो कर्मचारी संगठन ने चेतावनी दी है कि 10 मार्च के बाद विधानसभा सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण में मुद्दे उठाए जाएंगे और अगर सुनवाई नहीं हुई, तो राज्यभर के 4.5 लाख से ज्यादा कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।