(रिपोर्ट: नवीन कुमार सिंह) भोपाल: Burqa Ban in Schools कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश के स्कूलों में भी हिजाब कुबूल नहीं। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने फरमान जारी करते हुए कहा कि हिजाब स्कूलों के ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं, लिहाजा स्कूलों में हिजाब बैन होगा। शिक्षा मंत्री के बयान को जहां बीजेपी का समर्थन मिल रहा है, तो कांग्रेस इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए फैसले के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है। सवाल है कि कर्नाटक के बाद एमपी में हिजाब विवाद की एंट्री की वजह क्या है? मसला केवल ड्रेस कोड का है या फिर इसके पीछे छिपी है सियासत?
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Burqa Ban in Schools कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश की सियासत में भी हिजाब की एंट्री हो चुकी है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने साफ कर दिया है कि हिजाब स्कूलों के ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं है। लिहाजा स्कूलों में हिजाब बैन होगा। इसके पीछे मंत्री जी अनुशासन का हवाला दे रहे हैं, उन्होंने ये दावा भी किया कि कर्नाटक में हिजाब पर जानबूझकर बवाल किया जा रहा है। जाहिर है स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का ये बयान आसानी से कांग्रेस के गले नहीं उतरने वाला। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने मोर्चा खोलते हुए बीजेपी सरकार को चैलेंज भी कर दिया है।
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने कुछ कॉलेज परिसरों में हिजाब पर प्रतिबंध संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि वो भावनाओं को अलग रखेगा और संविधान के अनुसार चलेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने तर्क दिया कि हिजाब पहनना इस्लामी धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है और ये अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति के अधिकार द्वारा संरक्षित है। इसे केवल अनुच्छेद 19(6) के आधार पर प्रतिबंधित किया जा सकता है। कामत ने कहा कि हिजाब पहनना निजता के अधिकार का एक पहलू है, जिसे उच्चतम न्यायालय के पुट्टास्वामी फैसले के अनुच्छेद 21 के हिस्से के रूप में मान्यता दी गई है। ड्रेस कोड पर कुरान की आयत 24.31 पढ़ते हुए कामत ने कहा कि ये अनिवार्य है कि पति के अलावा किसी और को गर्दन का खुला हिस्सा नहीं दिखाया जाना चाहिए। ऐसा ही एक फैसला केरल उच्च न्यायालय का भी है।” इधर बीजेपी नेताओं का दावा है कि कांग्रेस और आरिफ मसूद की सोच तालिबानी है।
कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश में भी हिजाब पर सियासत शुरू हो गई है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने फरमान जारी कर दिया है कि जो कोई भी हिजाब पहनकर स्कूल आता है, तो उसे बैन कर दिया जाएगा। अब सवाल ये है कि क्या इसके पीछे वजह स्कूलों में अनुशासन है या फिर कुछ और?