शिखिल ब्यौहार/भोपालः खरगोन दंगों की ठंडी हो चुकी आग को फिर सुलगाता ये शख्स इमरान प्रतापगढ़ी है। जो शायर के साथ-साथ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और अल्पसंख्यक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाने वाले भोपाल में मंच सजा था और मौका था कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के निर्वाचन के 4 साल पूरे होने पर अंतरराष्ट्रीय मुशायरे का। जहां मुशायरे के नाम पर जमकर मजहबी सियासत हुई। बात खरगोन दंगों से निकली और मुख्यमंत्री शिवराज के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया तक जा पहुंची।
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बीजेपी को जैसे ही इसकी भनक लगी, कृष्णा घाडगे की अगुवाई में बीजेपी कार्यकर्ताओँ ने आपत्ति दर्ज कराई। माहौल को भापते हुए पुलिस प्रशासन हरकत में आया और जोरदार हंगामे के चंद मिनटों के अंदर कार्यक्रम को बंद करावा दिया गया। इसके बाद कृष्णा घाडगे ने जहांगीराबाद थाने में शिकायत भी दर्ज कराई। साथ ही चेतावनी भी जारी करते हुए कहा कि यदि मामला दर्ज नहीं किया गया तो सात दिनों के बाद अनशन शुरू किया जाएगा। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि कांग्रेसी प्रदेश का सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ना चाहते हैं।
बीजेपी के आरोपों के बाद पूर्व मंत्री और विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कांग्रेस का पक्ष रखते हुए कहा कि शायरी तो अपनी अभिव्यक्ति की आजादी है। अगर संविधान के खिलाफ शब्द निकले हैं तो प्रशासन अपना काम करें। सियासत भी क्या चीज है बहुत खूब बोलती है। कभी मजहब को तो कभी नफरत को तोलती है। ये भी किसी शायर का ही कलाम है। बहरहाल 2023 की जंग से पहले इमरान प्रतापगढ़ी का मुशायरे के मंच से नफरती शायरी आवाम को लुभाने की है या भड़काने की? ये बड़ा सवाल है