MP Politics: MP में थमा सियासी तूफान..किसे फायदा, किसे नुकसान? क्या कमलनाथ की पटरी बीजेपी पर नहीं बैठ सकी?

MP Politics: MP में थमा सियासी तूफान..किसे फायदा, किसे नुकसान? क्या कमलनाथ की पटरी बीजेपी पर नहीं बैठ सकी?

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  • Publish Date - February 19, 2024 / 11:54 PM IST,
    Updated On - February 19, 2024 / 11:54 PM IST

भोपाल: MP Politics पिछले 48 घंटे से मध्यप्रदेश से लेकर देश की सियासत में उठा तूफान फिलहाल थमता दिख रहा है। तमाम अटकलों, कयासों और दावों के बीच ये तय हो गया है कि कमलनाथ फिलहाल बीजेपी में नहीं जा रहे हैं। ना नकुलनाथ कांग्रेस छोड़ रहे हैं.. लेकिन ये पॉलिटिकल ड्रामा आखिर क्यों चला। इस ड्रामे के पीछे किसका हाथ था और इस सियासी ड्रामे से कमलनाथ को क्या हासिल हुआ। ये वो सवाल हैं जो कांग्रेस को अंदर ही अंदर परेशान किये जा रहे हैं।

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MP Politics कमलनाथ के नज़दीकी सज्जन सिंह वर्मा के बयान के बाद ये तो साफ हो गया है कि कमलनाथ बीजेपी नहीं जाएंगे। पिछले 48 घंटों से चल रहीं ये अटकलें भी अब खत्म हो चुकी हैं, लेकिन सवाल ये कि आखिर कमलनाथ खुद क्यों नहीं इस बात को कह रहे हैं। आखिर कमलनाथ के मन में क्या चल रहा है। ये सस्पेंस अब भी बरकरार है, क्योंकि इससे पहले जब भी कमलनाथ से पार्टी छोड़ने को लेकर सवाल हुए, तो कमलनाथ ने यही कहा कि मैं छिंदवाड़ा की जनता से और अपने साथियों से राय मश्विरा ले रहा हूं। अचानक छिंदवाड़ा दौरा रद्द कर दिल्ली पहुंचे और अपने नजदीकियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उनके करीबियों ने दावा किया कि ना तो कमलनाथ और ना ही सांसद बेटे नकुलनाथ बीजेपी जाएंगे। खैर इन सबसे कमलनाथ को क्या हासिल हुआ ये बड़ा सवाल है

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तीन दिनों से चल रही कांग्रेस खेमे में उठापटक को लेकर कांग्रेस की चिताएं फिलहाल खत्म नहीं हुईं हैं। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कम से कम ये तो समझ गया है कि कमलनाथ जब चाहेंगे तब दर्जनभर विधायकों के साथ पार्टी को अलविदा कह देंगे। जाहिर है इन्हीं सब चिंताओं के बीच कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह,पीसीसी चीफ जीतू पटवारी,नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने विधायकों की काउंसिलिंग शुरु कर दी है। मंगलवार को विधायकों को भोपाल तलब कर लिया है। इस बीच उमंग सिंघार ने एक बयान जारी कर ये दावा कर दिया कि कांग्रेस के सभी 66 विधायक पार्टी के साथ हैं। यानी कमलनाथ के साथ जाने का कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता, लेकिन कमलनाथ ने उपर से लेकर नीचे तक कांग्रेस की एक्सरसाइज़ करवाके अपनी ताकत का अहसास आलाकमान को ज़रुर करवा दिया है। उधर बीजेपी नेता कमलनाथ और कांग्रेस विधायकों की बगावत पर कह रहे हैं कि उन्हें बीजेपी में शामिल करने का फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा

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खैर ये तो तय है कि कांग्रेस में सब कुछ ऑल इज़ वेल नहीं है। आने वाले समय में कुछ भी बड़ा हो सकता हैं। कांग्रेस इस अनचाहे डर से कितना भी भाग ले लेकिन ये डर कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ने वाला यानी कांग्रेस की चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुईं है। वो भी तब जब 2 महीने बाद लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी अगले महीने एमपी में अपनी यात्रा को लेकर दाखिल होने वाले हैं। फिलहाल कांग्रेस कुछ वक्त के लिए राहत की सांस ज़रुर ले सकती है। लेकिन आगे के लिए कांग्रेस को अपना दिल मजबूत करके रहना होगा।

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