इंदौर के शीतलामाता बाजार में शनिवार को पूर्व सीएम और कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के विरोध में व्यापारियों और एकलव्य गौड़ के समर्थकों ने उन्हें बाजार में घुसने नहीं दिया। जिहादी समर्थक वापस जाओ के नारे भी लगाए। दरअसल, बीजेपी नेता एकलव्य गौड़ की अपील के बाद व्यापारियों ने जिहादी मानसिकता का हवाला देते हुए तकरीबन 40 की संख्या में मुस्लिम कर्मचारियों को काम से निकाल दिया, जिसके विरोध में दिग्विजय सिंह बाजार जा रहे थे, लेकिन बढ़ते विरोध के बीच पुलिस ने दिग्विजय सिंह को बाजार जाने से रोक दिया। जिसके बाद वो समर्थकों के साथ सराफा थाने पहुंचे और FIR के लिए आवेदन दिया। इस दौरान भी गौड़ समर्थकों ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उन्हें चूड़ियां भी दिखाई। दिग्गी राजा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर तीखा प्रहार करते हुआ आरोपों की झड़ी लगा दी।
जहां एक ओर दिग्विजय सिंह ने जिहाद की परिभाषा बताते हुए बीजेपी पर हमला बोला तो एकलव्य गौड़ ने पलटवार करते हुए कहा कि-तुष्टिकरण करने वाले दिग्विजय सिंह कायरों की तरह भाग गए। साथ ही एकलव्य ने ये ऐलान भी किया कि -लव जिहाद के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी। जिहाद के खिलाफ बयानबाजी से केवल इंदौर में ही सियासी घमासान नहीं छिड़ा रहा, बल्कि इनसे भी दो कदम आगे, जबलपुर में अंतरराष्ट्रीय बजरंग दल के नेता ने- समितियों से दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान पथराव के खिलाफ बोरे में पत्थर लेकर चलने की अपील की।
कुलमिलाकर इस समय मध्यप्रदेश में जिहाद के खिलाफ बीजेपी नेता और हिंदू संगठन खासे सक्रिय हैं, जिसके चलते एमपी में हिंदू-मुस्लिम को लेकर सियासी उबाल दिखाई दे रहा है..लेकिन बड़ा सवाल ये है कि- क्या जिहाद के खिलाफ मुस्लिमों का बॉयकाट सहिष्णुता के लिए खतरा नहीं है? क्या उकसावे की इस कार्रवाई से सामाजिक ताने-बाने को नुकसान नहीं पहुंच रहा है? और सवाल ये भी कि- इन विवादों के पीछे क्या ध्रुवीकरण की राजनीति है? सवाल ये भी कि दिग्विजय सिंह का इंदौर पहुंचना क्या मुस्लिम ध्रुवीकरण की ओर इशारा कर रहा है? और आखिर ये उकसावे का सिलसिला कब थमेगा?
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