E-Attendance in Schools: स्कूलों में लगानी ही पड़ेगी ई-अटैंडेंस! राज्य सरकार ने HC में कहा झूठे हैं याचिकाकर्ता शिक्षकों के ये आरोप

E-attendance in schools : राज्य सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी मोबाईल नेटवर्क की ऐसी दिक्कत नहीं है कि टीचर्स ई-अटैंडेंस ना लगा सकें। राज्य सरकार ने अपने जवाब में, हमारे शिक्षक ई-अटैंडेंस एप से डेटा लीक होने की आशंकाओं को भी नकार दिया है।

MP में शासकीय शिक्षकों की ई-अटैंडेंस, image source: ibc24

HIGHLIGHTS
  • MP में शासकीय शिक्षकों की ई-अटैंडेंस का मामला
  • राज्य सरकार ने HC में पेश किया जवाब
  • राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता शिक्षकों के आरोपों को नकारा
  • प्रदेश में मोबाईल नेटवर्क की नहीं दिक्कत : राज्य सरकार
  • हमारे शिक्षक ई एप से डेटा चोरी की नहीं आशंका : राज्य सरकार

जबलपुर: E-attendance in schools , मध्यप्रदेश में शासकीय शिक्षकों की ई-अटैंडेंस के मामले पर राज्य सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट में जवाब पेश कर दिया है। मामले पर आज हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अपना विस्तृत जवाब हाईकोर्ट में पेश किया है। सरकार की ओर से मुख्यत: याचिकाकर्ता शिक्षकों के आरोपों को नकार दिया गया है और कोर्ट से शिक्षकों की याचिका ख़ारिज करने की मांग की गई है।

ई-अटैंडेंस एप का लिया गया है डेटा सेफ्टी सर्टिफिकेट

राज्य सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी मोबाईल नेटवर्क की ऐसी दिक्कत नहीं है कि टीचर्स ई-अटैंडेंस ना लगा सकें। राज्य सरकार ने अपने जवाब में, हमारे शिक्षक ई-अटैंडेंस एप से डेटा लीक होने की आशंकाओं को भी नकार दिया है। जवाब में कहा गया है कि सरकार ने हमारे शिक्षक ई अटैंडेंस मोबाईल एप के लिए डेटा सिक्योरिटी का सर्टिफिकेट ले लिया है और एप से शिक्षकों का प्राईवेट डेटा चोरी होने जैसा कोई जोखिम नहीं है।

2017 में HC ई-अटैंडेंस को दे चुकी हरी झंडी

E-Attendance in Schools, मध्यप्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ई अटैंडेंस के मामले में कोर्ट को सुनवाई करने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि हाईकोर्ट पहले ही, शासकीय कर्मचारियों की ई-अटैंडेंस पर अपना फैसला सुना चुका है। राज्य सरकार ने अपने जवाब में साल 2014 के राजेंद्र कुमार शिवहरे वर्सेज़ स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश और साल 2017 के राज्य अध्यापक संघ वर्सेज़ स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश मामले पर आए फैसलों का हवाला दिया है।

राज्य सरकार ने अपने जवाब में इन मामलों में आए हाईकोर्ट के डिसीज़न की कॉपी भी पेश की है जिसमें कोर्ट ने ई-अटैंडेंस को जायज़ ठहराकर इसे चुनौती देने वाले शासकीय कर्मचारियों की याचिकाएं ख़ारिज कर दीं थी। पुराने फैसलों के आधार पर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से शिक्षकों की ताज़ा याचिका भी ख़ारिज करने की मांग की है।

HC ने अगले हफ्ते तय की मामले पर सुनवाई

हालाकि हाईकोर्ट में पेश राज्य सरकार के इस जवाब के विरोध में याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से कोर्ट में एक रीज्वाईंडर पेश कर जवाब दिया जाएगा, क्योंकि शिक्षक सरकार की इस दलील से सहमत नहीं हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी मोबाईल नेटवर्क कनेक्टिविटी की ख़ास दिक्कत नहीं है। फिलहाल जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर ले लिया है और मामले पर अगली सुनवाई 1 हफ्ते बाद तय कर दी है।

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ई-अटैंडेंस के खिलाफ शिक्षकों ने याचिका क्यों दायर की है?

शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की भारी समस्या, डेटा प्राइवेसी और तकनीकी दिक्कतों के कारण ई-अटैंडेंस लगाना संभव नहीं है। उनका आरोप है कि यह व्यवस्था ज़मीनी हकीकत से मेल नहीं खाती और शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव डालती है।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में क्या कहा?

मध्यप्रदेश सरकार ने कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ताओं के आरोप झूठे और अतिरंजित हैं। सरकार का दावा है कि: ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की पर्याप्त उपलब्धता है, “हमारे शिक्षक ई-अटैंडेंस ऐप” में डेटा लीक या प्राइवेसी का कोई जोखिम नहीं, और ऐप के लिए डेटा सिक्योरिटी सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर लिया गया है।

सरकार ने किन पुराने फैसलों का हवाला दिया?

सरकार ने दो हाईकोर्ट के पुराने फैसले पेश किए: 2014: राजेंद्र कुमार शिवहरे बनाम मध्यप्रदेश सरकार 2017: राज्य अध्यापक संघ बनाम मध्यप्रदेश सरकार इन दोनों मामलों में हाईकोर्ट ने ई-अटैंडेंस को वैध ठहराया था और कर्मचारियों की याचिकाएं खारिज की थीं।

शिक्षकों की अगली कानूनी रणनीति क्या है?

शिक्षक सरकार के दावों से सहमत नहीं हैं और जल्द ही रीज्वाइंडर (प्रति-उत्तर) दाखिल करेंगे। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की वास्तविक स्थिति सरकार के दावे से बिल्कुल अलग है।