Gwalior Oxytocin Misuse / Image Source: Pexels
Gwalior Oxytocin Misuse: ग्वालियर: हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने स्वास्थ्य प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए ऑक्सीटोसिन के खतरनाक और गैरकानूनी इस्तेमाल पर कार्रवाई न करने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस मामले में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और ग्वालियर के कलेक्टर को नोटिस जारी कर स्पष्ट सवाल किया है कि ‘2013 में दिए गए आदेश के बावजूद अब तक खतरनाक ऑक्सीटोसिन के उपयोग पर लगाम क्यों नहीं लगाई गई?’
दरअसल ये मामला ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के गलत इस्तेमाल को लेकर शुरू हुआ था। याचिका में कहा गया था कि ये इंजेक्शन सिर्फ चिकित्सकीय उपयोग तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि पोल्ट्री के चूजों की वृद्धि, सब्जियों की ग्रोथ बढ़ाने और यहां तक कि बाजार में बिक्री के लिए किराने की दुकानों तक उपलब्ध कराया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य और कानून के उल्लंघन के रूप में पेश किया। हाईकोर्ट 6 सितंबर 2013 को पहले ही ऑक्सीटोसिन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया था। इसके बावजूद, अदालत की माने तो पिछले 12 वर्षों में ये आदेश अमल में नहीं लाया गया। अदालत ने ये भी नोट किया कि अदालत के आदेशों की अवहेलना पर 2013 में ही अवमानना याचिका दायर की गई थी लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई न होने के कारण स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है।
कोर्ट ने नोटिस में स्वास्थ्य विभाग और कलेक्टर से विस्तृत जवाब मांगा है कि अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई और इस गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए गए। अदालत ने ये स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य और जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है और ऐसे खतरनाक इंजेक्शनों का गैरकानूनी वितरण बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
Gwalior Oxytocin Misuse: ऑक्सीटोसिन का अनियंत्रित उपयोग गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। पोल्ट्री उद्योग में इसका प्रयोग चूजों की तेजी से वृद्धि के लिए किया जाता है, जबकि कृषि और सब्जियों में इसका इस्तेमाल मानव उपभोग के लिए जोखिम बढ़ाता है। गलत तरीके से उपयोग होने पर ये इंजेक्शन न केवल पशु स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ऑक्सीटोसिन अब तक किराने की दुकानों तक आसानी से उपलब्ध है, जो कानून और आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है। अदालत ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर प्रशासन उचित कार्रवाई नहीं करता है तो सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।