Temple Dress Code: मंदिरों के लिए ड्रेस कोड हुआ लागू , अब बिना पारंपरिक कपड़ों के नहीं मिलेंगे भगवान के दर्शन, जानिए क्या पहनें क्या नहीं

Temple Dress Code: मंदिरों के लिए ड्रेस कोड हुआ लागू , अब बिना पारंपरिक कपड़ों के नहीं मिलेंगे भगवान के दर्शन, जानिए क्या पहनें क्या नहीं

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  • Publish Date - July 5, 2025 / 07:15 PM IST,
    Updated On - July 5, 2025 / 07:15 PM IST

Temple Dress Code | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • जबलपुर मंदिरों में ड्रेस कोड लागू,
  • बिना पारंपरिक परिधान के दर्शन नहीं,
  • हिंदू संगठनों की सख्ती पर बवाल,

जबलपुर: Temple Dress Code:  जबलपुर में हिंदूवादी संगठनों ने मंदिरों में ड्रेस कोड लागू कर दिया है। एक संगठन ने जहां सिर्फ महिलाओं के लिए फरमान सुनाया है, वहीं दूसरे ने महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए नियम लागू किए हैं। लेकिन हिंदू सेवा परिषद ने तो स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर कोई व्यक्ति पारंपरिक भारतीय परिधान पहने बिना मंदिर में आता है तो उसे भगवान के दर्शन नहीं करने दिए जाएंगे।

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Temple Dress Code:  इस फैसले से सीधे तौर पर महिलाएं प्रभावित हो रही हैं। प्रवीण तोगड़िया के संगठन अंतरराष्ट्रीय बजरंग दल ने सिर्फ महिलाओं के लिए ड्रेस कोड के पोस्टर लगाए हैं। दूसरी ओर हिंदू सेवा परिषद ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जो व्यक्ति ड्रेस कोड का पालन नहीं करेगा उसे मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। हालांकि कुछ युवतियों को छोड़कर अधिकांश महिलाओं ने मंदिरों में भारतीय परिधानों में प्रवेश को उचित ठहराया है। महिलाओं का यह भी कहना है कि यह नियम पुरुषों पर भी समान रूप से लागू होना चाहिए, ताकि वे भी पारंपरिक परिधान में ही मंदिर आएं।

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Temple Dress Code:  इधर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी मुकुंददास महाराज ने भी मंदिरों में पारंपरिक भारतीय वस्त्रों में ही आने की अपील की है। उन्होंने इसके धार्मिक महत्व को भी समझाया है। उधर जबलपुर पुलिस के अधिकारी फिलहाल मंदिरों में हो रही इस सोशल पुलिसिंग पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि यदि इन पोस्टरों के विरोध में कोई शिकायत आती है तो पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी। हाल के दिनों में मंदिरों में रीलबाज़ी और फूहड़ गानों पर डांस जैसी घटनाएं सामने आई हैं जिसके बाद कई लोग इस सोशल पुलिसिंग को उचित भी मान रहे हैं। लेकिन ज़रूरत इस बात की है कि यह कदम कानून के दायरे में रहे और पुरुषों एवं महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से लागू हो।

"मंदिर ड्रेस कोड" का क्या मतलब है?

मंदिर ड्रेस कोड का मतलब है – मंदिर में प्रवेश करने के लिए निर्धारित पारंपरिक भारतीय परिधान जैसे साड़ी, सलवार-कुर्ता (महिलाओं के लिए) और धोती, कुर्ता या पायजामा (पुरुषों के लिए) पहनना अनिवार्य करना।

क्या "मंदिर ड्रेस कोड" सिर्फ महिलाओं पर लागू किया गया है?

नहीं, कुछ संगठनों ने यह ड्रेस कोड सिर्फ महिलाओं के लिए लागू किया है, लेकिन हिंदू सेवा परिषद जैसे संगठन इसे पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप से लागू करने की बात कर रहे हैं।

क्या "मंदिर ड्रेस कोड" का उल्लंघन करने पर मंदिर में प्रवेश रोका जा सकता है?

हाँ, हिंदू सेवा परिषद और कुछ अन्य संगठनों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ड्रेस कोड का पालन न करने पर श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

"मंदिर ड्रेस कोड" पर कानून क्या कहता है?

फिलहाल मंदिरों में ड्रेस कोड को लेकर कोई केंद्रीय कानून नहीं है। यह पूरी तरह मंदिर ट्रस्ट या स्थानीय प्रशासन के निर्णय पर निर्भर करता है, बशर्ते कि वह संविधान और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करे।

क्या "मंदिर ड्रेस कोड" के विरोध में शिकायत की जा सकती है?

हाँ, यदि कोई व्यक्ति इसे भेदभावपूर्ण या अव्यवहारिक मानता है, तो वह पुलिस या न्यायालय में शिकायत कर सकता है। जबलपुर पुलिस ने भी कहा है कि यदि कोई औपचारिक शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।