मध्यप्रदेश : अपनी 21 सूत्री मांगों को लेकर ‘करणी सेना परिवार’ का भोपाल में आमरण अनशन दूसरे दिन भी जारी
मध्यप्रदेश : अपनी 21 सूत्री मांगों को लेकर ‘करणी सेना परिवार’ का भोपाल में आमरण अनशन दूसरे दिन भी जारी
भोपाल, नौ जनवरी (भाषा) आर्थिक आरक्षण, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम में बिना जांच गिरफ्तारी पर रोक एवं बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाये जाने समेत 21 सूत्री मांगों को लेकर गैर राजनीतिक संगठन ‘करणी सेना परिवार’ का आमरण अनशन यहां सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।
राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के भोपाल महानगर अध्यक्ष कृष्णा बुंदेला ने ‘भाषा’ से कहा कि यह आंदोलन करणी सेना परिवार, समस्त राजपूत संगठन एवं सर्व समाज मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि हम गैर राजनीतिक संगठन हैं।
उन्होंने कहा कि करणी सेना परिवार के प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर समेत पांच कार्यकर्ता रविवार से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
बुंदेला ने बताया कि पहले दिन हमारा अनशन यहां जंबूरी मैदान में था, लेकिन आज यह यहां बाबूलाल गौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पास स्थित चौराहे पर है।
उन्होंने कहा कि जंबूरी मैदान से प्रदर्शनकारी आज दोपहर शहर के महाराणा प्रताप नगर चौराहे पर लगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए निकले थे। जैसे ही जंबूरी से प्रदर्शनकारी महाराणा प्रताप नगर की तरफ बढ़े, हमें अगले ही चौराहे पर पिपलानी पुलिस ने रोक लिया।
बुंदेला ने बताया कि इसके बाद हम उसी चौराहे पर धरने पर बैठ गये और हनुमान चालीसा का पाठ भी किया।
उन्होंने सोमवार रात देर शाम कहा, ‘‘इस वक्त 1000 से 1500 के बीच प्रदर्शनकारी इसी चौराहे पर बैठ कर धरना दे रहे हैं।’’
बुंदेला ने कहा कि हमारी कुल 21 मांगे हैं और जब तक केन्द्र एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक हमारा आमरण अनशन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप नगर में प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद हम वहीं पर धरने पर बैठने वाले थे, क्योंकि जंबूरी मैदान में धरने के लिए केवल एक दिन रविवार की ही अनुमति दी गई थी।
वहीं, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश भदौरिया ने मीडिया को बताया कि 400-500 प्रदर्शनकारी रैली लेकर ऐसे मार्ग पर जा रहे थे, जहां बड़ी संख्या में स्कूल, कॉलेज और अस्पताल हैं। इससे यातायात की समस्या हो रही थी और स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों के साथ-साथ आमजन को समस्या हो रही थी, इसलिए इन्हें यहां रोका गया।
भाषा रावत अर्पणा
अर्पणा

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