जहां पहले था खौफ का साया, वहां खुशी खोजने जाएंगे लोग, गूंजती थी बंदूक की आवाजें, अब ठहाका लगाएंगे रोज

rugged safari is being prepared for tourists: इस बीहड़ सफारी को लेकर जिला प्रशासन स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई है। चंबल नदी के किनारे गहरी उबड़ खाबड़ खाई जिन्हें बीहड़ के नाम से जाना जाता है। यही चंबल के बीहड़ खूंखार डाकूआंे की शरण स्थली रहे है।

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  • Publish Date - March 25, 2023 / 03:00 PM IST,
    Updated On - March 25, 2023 / 03:04 PM IST

rugged safari is being prepared for tourists:  मुरैना। जहां कभी चंबल के बीहड़ों में डकैतों का बसेरा हुआ करता था और इन चंबल के बीहड़ों से लोग थरथर कांपते थे। अब इन्हीं चंबल के बीहड़ों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। पहली बार देश भर के पर्यटकों के लिए बीहड़ सफारी तैयार हो रही है। जहाँ आने वाले पर्यटक चंबल के बीहड़ों में सैर कर सकेंगे। खास बात यह है कि जहां खूंखार डकैत चंबल के बीहड़ों में रात गुजारते थे, वहां पर भी पर्यटकों को रात गुजारने का मौका मिलेगा।

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इस बीहड़ सफारी को लेकर जिला प्रशासन स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई है। चंबल नदी के किनारे गहरी उबड़ खाबड़ खाई जिन्हें बीहड़ के नाम से जाना जाता है। यही चंबल के बीहड़ खूंखार डाकूआंे की शरण स्थली रहे है। इन्हीं चंबल के बीहड़ों में 70 के दशक में डाकू पान सिंह तोमर, मलखान सिंह , पुतलीबाई, मुन्नी बाई, फूलन देवी, माखन सिंह और सुल्तान सिंह जैसे खूंखार डाकू इन्ही चंबल के बीहड़ों में रहते थे और चंबल के बीहड़ों से ही अपने हक की लड़ाई के लिए बगावत शुरू की। इन्हीं चंबल के बीहड़ों में वह रहा करते थे और यहाँ से लूट, हत्या, अपहरण जैसी कई संगीन घटनाओं को अंजाम देने की प्लानिंग करते थे। चंबल के बीहड़ पूरे देश भर में प्रसिद्ध हैं और जब भी चंबल के बीहड़ की बात होती है तो लोगों के मन में डर और उसकी कहानी आंखों के सामने आ जाती है।

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इस मामले को लेकर मुरैना जिले के कलेक्टर अंकित अस्थाना ने बताया है कि बीहड़ सफारी को लेकर प्लान तैयार किया जा रहा है। और कुछ ही दिनों में यह प्लान बनकर तैयार हो जाएगा उसके बाद पर्यटक आराम से बीहड़ सफारी का आनंद ले सकेंगे। वहीं इसको लेकर जिले के पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागरी का कहना है कि चंबल के बीहड़ों के बारे में लोगों की सोच नेगेटिव है और इसको ही बदलने के लिए या बीहड़ सफारी का प्लान तैयार किया गया है।

इस बीहड़ सफारी के माध्यम से पर्यटकों को बीहड़ों में घुमाया जाएगा। साथ ही जो चंबल के रेत के घाट है वहां भी पर्यटक आराम से घूम सकेंगे। वहीं सबसे खास बात यह है कि जिन चंबल के बीहड़ों में खूंखार डाकुओं का बसेरा हुआ करता था उन जगहों पर भी पर्यटकों को रुकाया जाएगा। वहीं उन्हें यह भी बताया जाएगा कि चंबल में डाकू बनने के पीछे उनका क्या उद्देश्य था और किस वजह से वह डाकू बने।

रिपोर्ट- सतेंद्र सिंह