MP Assembly Election 2023 : भोपाल – मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी और कांग्रेस के साथ बसपा ने भी तैयारी प्रारंभ कर दी है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और मध्य प्रदेश में लगातार घटता वोट बैंक चिंतित कर रहा है। पिछले चुनाव में बसपा को मध्य प्रदेश में 5.1 प्रतिशत वोट मिले थे और दो विधायक जीते थे। इनमें से भी एक संजीव कुशवाह बीजेपी में शामिल हो गए हैं। >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
MP Assembly Election 2023 : हाल ही में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी ने बड़ी उम्मीदों के साथ प्रत्याशी उतारे थे लेकिन नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इसे देखते हुए पार्टी ने ग्वालियर, चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में ताकत लगाने का निर्णय किया है। इसके लिए जिला और विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलन किए जा रहे हैं। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बाद बसपा ही ऐसा दल है, जिसका वोटबैंक रहा है। 2003 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को दो विधायक जीते थे और कुल वोट 7.26 प्रतिशत मिले थे। 2008 में 8.97 प्रतिशत वोट मिले और सात विधायक जीते थे। जबकि, 2013 में वोट प्रतिशत 6.29 प्रतिशत रहा और चार विधायक जीते थे। बसपा के पक्ष में मतदान का प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है और पार्टी की परंपरागत वोटबैंक पर जो पकड़ थी, वह ढीली होती जा रही है। नगरीय निकाय चुनाव में भी मात्र 56 पार्षद चुनाव जीते।
MP Assembly Election 2023 : यही स्थिति जिला और जनपद पंचायत के चुनाव में रही। जिला और जनपद पंचायत में पार्टी समर्थित 168 सदस्य ही निर्वाचित हुए। ग्वालियर क्षेत्र में भिंड से विधायक संजीव कुशवाह बड़ी ताकत थे लेकिन वे राष्ट्रपति चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए। अब विधानसभा में बुंदेलखंड क्षेत्र से पार्टी विधायक रामबाई अकेली रह गई हैं। लगातार कमजोर होती स्थिति को संभालने के लिए पार्टी ने ग्वालियर, चंबल, विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की योजना बनाया है। बसपा के जिला और विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलन होने वाले है जो निष्क्रिय पदाधिकारी हैं, उनके स्थान पर नई नियुक्तियां की जाएगी। प्रदेश को जोन में बांटकर प्रभारी बनाये जा रहे है। अलग -अलग समाज को पार्टी से जोड़ने की रणनीति बनाई जा रही है हालाकिं कांग्रेस और बीजेपी अब बसपा को मध्यप्रदेश में चुनौती नहीं मानते है।