Political struggle over renaming of cities in Madhya Pradesh!

नाम तो बदल जाएगा.. क्या अतीत भी मिट जाएगा? मध्यप्रदेश में शहरों के नाम बदलने पर सियासी संग्राम!

नाम तो बदल जाएगा.. क्या अतीत भी मिट जाएगा? मध्यप्रदेश में शहरों के नाम बदलने पर सियासी संग्राम! Political struggle over renaming of cities in Madhya Pradesh!

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:15 PM IST, Published Date : February 4, 2022/11:36 pm IST

भोपालः ‘वक्त के साथ मिट्टी का सफर सदियों का, किसको पता कहां के हम हैं..किधर के हम हैं’ निदा फाजली ने जब ये शेर लिखा होगा, तो उन्हें भी ये मालूम नहीं रहा होगा कि आने वाले दौर में कैसे हर दौर, हर वक्त और हर नाम को लेकर सियासत होने वाली है। कभी दिल्ली, कभी यूपी, तो कभी महाराष्ट्र में नाम बदलने को लेकर होने वाली राजनीति अब मध्यप्रदेश भी पहुंच चुकी है। वो भी ऐसी कि नाम बदलने की होड़ लगी है। केंद्र ने होशंगाबाद और बाबई के साथ टीकमगढ़ के शिवपुरी गांव के नाम बदलने पर मुहर क्या लगा, कई और शहरों के नाम बदलने की मांग उठने लगी।

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नाम में क्या रखा है जनाब ये कहावत तो आपने भी सुनी होगी। लेकिन मध्यप्रदेश की सियासत में फिलहाल नाम ही है। जिसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस सियासी दांव खेल रही है और सियासत की बाजी भी इन्ही नामो के इर्दगिर्द घूम रही है। केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश में होशंगाबाद और बाबई के साथ टीकमगढ़ के शिवपुरी गांव के नाम बदलने पर मुहर क्या लगाई, चंद ही घंटों में शहरों और कस्बो के नामों के परिवर्तन की मांग उठने लगी। बीजेपी नेता अब मुग़ल शासको के नाम पर बसे शहरों के नाम बदलने की मांग करने लगे है।.

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प्रदेश के तीन शहरों के नाम बदले जाने की जानकारी खुद सीएम शिवराज ने देर रात ट्वीट कर दी। होशंगाबाद शहर अब नर्मदा की जयंती के शुभ दिन से नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा। प्रख्यात कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली बाबई का नाम बदलकर माखन नगर कर दिया गया है। शहरों के नाम बदले जाने की सरकार की घोषणा को कांग्रेस नेता मुद्दे से भटकाने की सियासत बता रहे है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी विकास की बजाय नाम पर सियासत कर रही है।

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वैसे मध्यप्रदेश में 2,3 नहीं करीब एक दर्जन शहरों के नाम बदलने की मांग की जा रही है। इन शहरों के नाम बदलने की मांग वहां के लोगों और जनप्रतिनिधि कर रहे हैं. कई जगह तो स्थानीय निकायों द्वारा इसके लिए प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है। जिन शहरों के नाम बदलने की मांग उठ रही है। जिसमें भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, महेश्वर, विदिशा, सीहोर और दतिया जैसे बड़े शहरों के नाम शामिल है। वैसे केवल शहरों के नाम बदलने की मांग नहीं उठ रही है। शहरों के भीतर भी कई जगहों के नाम बदलने की सियासत जारी है। दरअसल नाम बदलने के पीछे सिर्फ एक रणनीति काम करती है और वो है वोट की राजनीति। जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।

 

 
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