Reported By: Hiten Chauhan
,Balaghat Naxal News|| Image- IBC24 News File Photo
बालाघाट: Balaghat Naxal News: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। जिस लाल आतंक ने पिछले साढ़े तीन दशकों से जिले को अपनी चपेट में लिया था, वह अब धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर है। बालाघाट के साथ-साथ सीमावर्ती जिलों में भी नक्सल गतिविधियों में भारी कमी देखी जा रही है। खासकर बालाघाट और मंडला जिले की सीमा से लगे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में नक्सलियों की पकड़ कमजोर हुई है।
Balaghat Naxal News: नक्सल विरोधी अभियानों के चलते अब नक्सली जंगलों में छिपने पर मजबूर हैं। मध्यप्रदेश सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई के कारण बालाघाट, जो कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, वहां भी उनका प्रभाव तेजी से कम हो रहा है। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए सुरक्षा बल हर मोर्चे पर सतर्क हैं। वर्तमान में बालाघाट और मंडला की सीमा से लगे कान्हा क्षेत्र में तीन एरिया कमेटी में से अब सिर्फ भोरमदेव दलम सक्रिय है, लेकिन उनकी संख्या और गतिविधियां बहुत सीमित रह गई हैं। बोड़ला और खटिया-मोचा दलम का लगभग सफाया हो चुका है।
Balaghat Naxal News: पुलिस कप्तान के अनुसार, एमएमसी जोन में दो डिवीजन सक्रिय हैं- कान्हा भोरमदेव डिवीजन और जीआरबी डिवीजन। पहले कान्हा भोरमदेव डिवीजन में तीन अलग-अलग दलम काम कर रहे थे। विस्तार प्लाटून, खटिया मोचा दलम और बोडला एरिया कमेटी। लेकिन अब पुलिस की निरंतर कार्रवाई के चलते सिर्फ एक संयुक्त टीम ही बची है, जो कभी खुद को खटिया मोचा दलम बताती है, तो कभी भोरमदेव कमेटी। हाल ही में पुलिस ने कान्हा भोरमदेव डिवीजन की चार महिला नक्सलियों को मार गिराया था। इसके अलावा, कई नक्सली संगठन छोड़कर भाग रहे हैं, जिससे उनकी ताकत लगातार घट रही है। स्थानीय लोग भी मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक हैं, जिससे नक्सलियों का प्रभाव और कमजोर हो रहा है। जीआरबी डिवीजन में मलाजखंड दलम और दर्रेकसा दलम सक्रिय हैं, जबकि पहले सक्रिय दाड़ा दलम की संख्या घटकर सीमित हो गई है। नए पुलिस कैंपों की स्थापना के कारण भी नक्सलियों का दायरा सिकुड़ रहा है। अगर सुरक्षा बलों की यह सक्रियता बनी रही, तो 2026 तक मध्यप्रदेश पूरी तरह नक्सल मुक्त हो सकता है।