Reported By: Mridul Pandey
,Satna HIV News/Image Source: IBC24
सतना: Satna HIV News: सतना जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से जुड़ी गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चों को रक्त चढ़ाने के बाद उनके एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने की पुष्टि हुई है। यह मामला लगभग चार माह पुराना बताया जा रहा है जिसकी जानकारी अब सामने आई है।
Satna HIV News: थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को नियमित रूप से रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। इसी प्रक्रिया के तहत इन बच्चों को विभिन्न अवसरों पर रक्त दिया गया था। बाद में जब उनकी नियमित जांच की गई, तो वे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। परिजनों का आरोप है कि संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के कारण बच्चों को यह संक्रमण हुआ। रक्त चढ़ाने से पहले एचआईवी सहित अन्य संक्रमणों की जांच अनिवार्य होती है। ऐसे में एक नहीं, बल्कि चार बच्चों का एचआईवी पॉजिटिव होना ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। आशंका जताई जा रही है कि संबंधित अवधि में उपयोग किए गए कुछ रक्त यूनिट्स की जांच या तो ठीक से नहीं हुई, या फिर जांच किट की संवेदनशीलता पर्याप्त नहीं थी।
सूत्रों के अनुसार, जिला अस्पताल के अलावा बिरला अस्पताल, रीवा और प्रदेश के अन्य स्थानों से भी बच्चों के लिए रक्त लिया गया था, जिससे यह स्पष्ट करना और कठिन हो गया है कि संक्रमण किस यूनिट से फैला। मामला सामने आने के बाद तय प्रोटोकॉल के तहत रक्तदाताओं की श्रृंखला (डोनर ट्रेसिंग) की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन अब तक सभी डोनरों को चिन्हित नहीं किया जा सका है। जांच में सबसे बड़ी समस्या गलत मोबाइल नंबर और अपूर्ण पते सामने आई है। फिलहाल लगभग 50 प्रतिशत डोनरों की जांच की जा चुकी है, लेकिन किसी से भी संक्रमण का सीधा संबंध स्थापित नहीं हो पाया है।
Satna HIV News: ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल ने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का बार-बार ट्रांसफ्यूजन होता है, ऐसे में उनमें संक्रमण का जोखिम अधिक रहता है। बच्चों की नियमित जांच के दौरान यह सामने आया कि वे पहले एचआईवी निगेटिव थे और बाद में पॉजिटिव हुए। उन्होंने बताया कि पूर्व में रैपिड टेस्ट किट से जांच होती थी, जबकि अब एलाइजा विधि से जांच की जाती है, जिससे एंटीबॉडी का बेहतर तरीके से पता चलता है। हालांकि एलाइजा टेस्ट में भी 20 से 90 दिन की विंडो पीरियड की सीमा होती है, जिसके कारण शुरुआती संक्रमण पकड़ में नहीं आ पाता। डॉ. पटेल के अनुसार बच्चों के माता-पिता की जांच की गई है और वे एचआईवी निगेटिव पाए गए हैं। फिलहाल डोनरों की पहचान और जांच की प्रक्रिया जारी है।