VIT Sehore Student Protest: VIT यूनिवर्सिटी के छात्रों के हंगामे के बाद सीएम मोहन यादव का बड़ा एक्शन, दिखाई सख्ती… जारी किया ये निर्देश

सीहोर जिले में वीआईटी यूनिवर्सिटी प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए, मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने विश्वविद्यालय का दौरा किया और छात्रों व प्रबंधन से संवाद किया। उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह ने निजी विश्वविद्यालयों की समीक्षा कर छात्र हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

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  • Publish Date - November 27, 2025 / 02:53 PM IST,
    Updated On - November 27, 2025 / 03:00 PM IST

MP News

HIGHLIGHTS
  • वीआईटी में खराब भोजन और पानी के विरोध में छात्र आंदोलन।
  • यूनिवर्सिटी को 8 दिसंबर तक अस्थायी रूप से बंद किया गया।
  • मुख्यमंत्री ने मंत्री कृष्णा गौर और इंदर सिंह को समाधान के निर्देश दिए।

VIT Sehore Student Protest: सीहोर: सीहोर के वीआईटी (VIT) यूनिवर्सिटी में खराब भोजन और दूषित पानी को लेकर छात्रों के प्रदर्शन के मामले में अब खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका संज्ञान लिया है। उन्होंने सीहोर की प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर को फौरन यूनिवर्सिटी कैंपस जाकर छात्र-छात्राओं से बात करने और उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान करने के निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर तीखे सवाल उठाए हैं।

सीएम मोहन यादव ने ‘X’  पर पोस्ट किया और प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर को विश्वविद्यालय का दौरा करने के निर्देश दिए हैं साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को इस मामले को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं, उधर NSUI ने निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर दोषियों पर एफआईआर करने की मांग की है, आयोग ने तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है जो जो 3 दिन में जाँच कर रिपोर्ट सौंपेगी।

क्या है पूरा मामला?

वीआईटी यूनिवर्सिटी में लंबे समय से छात्रों को खराब भोजन और दूषित पानी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से छात्रों ने आंदोलन शुरू किया और यूनिवर्सिटी परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया। गुस्साए छात्रों ने बसों और वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। इस पूरे विवाद की जानकारी मुख्यमंत्री ने स्वयं ली और प्रभारी मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर तथा उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों की समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए, खासकर भोजन और पानी की गुणवत्ता को लेकर। इसके अलावा अधिकारियों को भी छात्रों और यूनिवर्सिटी प्रबंधन से संवाद कर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।

नेता उमंग सिंघार का कड़ा बयान

इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी कड़ा बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि ये यूनिवर्सिटी तमिलनाडु की ब्रांच है और प्रबंधन को ये समझना चाहिए कि छात्रों से फीस लेने के बदले उन्हें उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। सिंघार ने सीधे सवाल किए कि अगर छात्र शिकायत कर रहे हैं तो उनकी बात क्यों नहीं सुनी जाती। उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर केवल पैसा कमाने का आरोप लगाया और कहा कि ये मामला सिर्फ संस्थान का नहीं बल्कि सरकार और सिस्टम की भी लापरवाही दर्शाता है।

यूनिवर्सिटी की अस्थायी बंदी

वीआईटी यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में लगभग 4,000 छात्र लंबे समय से घटिया भोजन और दूषित पानी की शिकायत कर रहे थे। छात्रों का आरोप है कि इसी वजह से कैंपस में पीलिया जैसी बीमारियों के मामले बढ़ गए हैं। लगभग 100 छात्र गंभीर लक्षणों के साथ सीहोर, आष्टा और भोपाल के अस्पतालों में भर्ती हैं। कुछ छात्रों ने पीलिया से मौत होने का दावा भी किया, हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसका खंडन किया है। छात्रों का गुस्सा बढ़ते बढ़ते मारपीट तक पहुँच गया और मंगलवार देर रात स्थिति बेकाबू हो गई और छात्रों ने तोड़फोड़ आगजनी शुरू कर दी। इसके साथ ही गुस्साए छात्रों ने बसों, कारों और यहां तक कि एक एम्बुलेंस को भी आग के हवाले कर दिया। स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कई थानों की पुलिस बुलानी पड़ी। इसके बाद प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को 8 दिसंबर तक के लिए बंद करने का फैसला किया।

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वीआईटी यूनिवर्सिटी प्रकरण पर मंत्री का कदम क्यों जरूरी था?

छात्रों की समस्याओं को सुनने, उनके हितों की सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था में सुधार सुनिश्चित करने के लिए।

प्रशासन ने किन क्षेत्रों में तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए?

छात्रावासों में भोजन और पानी की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए।

उच्च शिक्षा मंत्री ने आगे क्या निर्देश दिए?

सभी निजी विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की उच्च स्तरीय समीक्षा कर समस्याओं की पहचान और त्वरित निराकरण सुनिश्चित करने के निर्देश।