अद्भुत.! हवा में उड़कर आया है ये शिव मंदिर, खुदाई में किसी को नहीं मिली नींव, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

Shree Vishwanath Shiva Temple in Rajgarh हवा में उड़कर आया है ये शिव मंदिर, खुदाई में किसी को नहीं मिली नींव, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

अद्भुत.! हवा में उड़कर आया है ये शिव मंदिर, खुदाई में किसी को नहीं मिली नींव, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

Shree Vishwanath Shiva Temple in Rajgarh

Modified Date: August 8, 2023 / 11:20 am IST
Published Date: August 7, 2023 3:01 pm IST

राजगढ़। भारत में एक से बढ़कर एक मंदिर है और हर एक मंदिर का अपना महत्व अपना एक रहस्य है। कहीं कोई मंदिर अपनी प्राचीनता के कारण विख्यात है तो कहीं किसी मंदिर कि अपनी ही कोई कहानी है। आज हम आपको दिखाते हैं एक ऐसा मंदिर जिसके बारे में लोग बताते हैं कि यह शिव मंदिर हवा में उड़ कर आया है।

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साधुओं ने मंदिर को उड़ते हुए देखा!

आज भी इस मंदिर की इमारत को देखा जाए तो स्पष्ट तौर पर पूरी इमारत एक और झुकी नजर आती है। वहीं, मंदिर के अंदर अगर देखा जाए तो मंदिर का मुख्य द्वार भी साफ-साफ एक तरफ झुका हुआ नजर आता है। यही नहीं इस मंदिर के बारे में जब हमने लोगों से जानकारी ली तो लोगों ने बताया, कि लगभग 200 साल पूर्व यह मंदिर हवा में उड़ कर आया था। जिस जगह यहां मंदिर स्वयं आकर स्थापित हुआ है, इस जगह संतों का डेरा हुआ करता था। जहां मंदिर को उड़ते हुए साधु संतों ने देखा और यहां मंदिर उसी जगह आता कि स्थापित हो गया।

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खुदाई में किसी को नहीं मिली नींव

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इस मंदिर को बाहर या अंदर कहीं से भी अगर देखा जाए तो यह पूरी तरह एक और झुका नजर आता है। इंजीनियर स्नेह और अन्य लोगों ने भी जब मंदिर के उड़ कर आने के बात की पड़ताल की तो सभी लोगों ने बताया कि इस मंदिर की कितनी ही खुदाई की जाए इसमें कहीं भी नींव नजर नहीं आती। जबकि किसी भी भवन के निर्माण के लिए नींव की जरूरत तो प्राथमिकता पर होती है, लेकिन इस मंदिर की खुदाई करने पर नीव कभी नजर नहीं आई।

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24 घंटे सातों दिन लगातार जारी रहता है रामायण का पाठ

 

शहर व जिले के आसपास के लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था कितनी होगी इस बात का अंदाजा आप इसे लगा सकते हैं। इस मंदिर में साल 1984 से रामायण का पाठ किया जाता है जो 24 घंटे सातों दिन लगातार जारी रहती है। इस मंदिर की इमारत प्राचीन होने की वजह से धर्मस्य विभाग द्वारा समय-समय पर राशि मेंटेनेंस के लिए मिलती है, लेकिन पर्याप्त राशि न होने की वजह से मंदिर से जुड़े लोगों और भक्तों ने खुद ही इस मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठा लिया।

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राजशाही जमाने की पद्धति से मंदिर का रखरखाव 

 

मंदिर की प्राचीनता बरकरार रखने के लिए जन सहयोग से पुराने राजशाही जमाने में बनाई जाने वाली पद्धति से ही मंदिर का मेंटेनेंस और रखरखाव करने का बीड़ा उठा उठाया हुआ है। जाहिर सी बात है अगर प्रशासन का ध्यान इस तरफ चल जाए तो लोगों की आस्था से जुड़ा यहां प्राचीन मंदिर अपनी इस पहचान को और भी विख्यात रूप ले सकता है।

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