Ujjain Donkey Fair: तेजस्वी-ओवैसी की कीमत 15000 रुपए, सलमान शाहरूख और ऐश्वर्या की भी लगेगी बोली, जानिए कहां लगेगा भारत देश का ये अनोखा बाजार

Ujjain Donkey Fair: तेजस्वी-ओवैसी की कीमत 15000 रुपए, सलमान शाहरूख और ऐश्वर्या की भी लगेगी बोली, जानिए कहां लगेगा भारत देश का ये अनोखा बाजार

Ujjain Donkey Fair/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • गुलाब जामुन खिलाकर गधों की पूजा,
  • अनोखा मेला बना लोगों का आकर्षण,
  • उज्जैन में गधों का मेला वायरल चर्चा में,

उज्जैन: Ujjain Donkey Fair: कार्तिक माह के शुभ अवसर पर उज्जैन में पारंपरिक गधों का मेला इस वर्ष भी धूमधाम से शुरू हो गया है। यह मेला न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देशभर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मेले की शुरुआत गधों की पूजा और उन्हें गुलाब जामुन खिलाकर की जाती है। इसी रस्म के साथ इस बार भी गधों की बिक्री का शुभारंभ हुआ और मेला उत्सवमय माहौल में रंग गया।

नामों में चुनाव और फिल्मी असर

Gadhon Ka Mela: देशभर से करीब 500 से अधिक गधे और 200 घोड़े बिक्री के लिए मेले में पहुंचे हैं। ये पशु शाजापुर, सुसनेर, मक्सी, सारंगपुर, भोपाल के अलावा राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से लाए गए हैं। वहीं, घोड़े अमरावती, अरनी, मालेगांव और सिरपुर से पहुंचे हैं। हर साल की तरह इस बार भी गधों के दिलचस्प नाम लोगों का आकर्षण बने हुए हैं। कुछ गधों के नाम तेजस्वी, ओवैसी और पुष्पा रखे गए हैं जबकि कुछ का नाम सलमान, शाहरुख, ऐश्वर्या, जैकलीन और शबनम रखा गया। व्यापारियों का कहना है कि यह रणनीति खरीदारों का ध्यान आकर्षित करने के लिए की जाती है। हर गधे की पीठ पर उसका नाम रंगीन अक्षरों में लिखा गया है।

गुलाब जामुन से शुरू हुई पूजा

Ujjain Donkey Fair: मेले की शुरुआत पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुई। गधों को स्नान कराया गया, माथे पर तिलक लगाया गया और उन्हें गुलाब जामुन खिलाकर पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद ही खरीद-फरोख्त का सिलसिला शुरू हुआ। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस तरह पूजा करने से गधों का व्यापार शुभ और लाभकारी होता है। इस बार मेले में गधों की कीमत उनकी उम्र, ताकत और काम करने की क्षमता के आधार पर तय की जा रही है। सामान्य गधों की कीमत 4,000 से 15,000 रुपए तक है, जबकि छोटे घोड़े 10,000 से 20,000 रुपए तक बिक रहे हैं। व्यापारी बताते हैं कि खरीदार गधे के दांत देखकर उसकी उम्र और ताकत का अंदाजा लगाते हैं और उसी के अनुसार सौदा तय करते हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गधों की अहम भूमिका

Gadhon Ka Mela: गधों का यह मेला केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है बल्कि ग्रामीण जीवन और अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में गधे निर्माण कार्यों, ईंट-भट्टों, खेतों और सामान ढोने जैसे कामों में उपयोग किए जाते हैं। वे सस्ते, भरोसेमंद और मेहनती माने जाते हैं। यही कारण है कि इस मेले की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और यह पशुपालकों के लिए हर साल एक महत्वपूर्ण व्यापारिक अवसर बन जाता है।

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"उज्जैन गधों का मेला" कब शुरू हुआ?

मेला कार्तिक माह के शुभ अवसर पर शुरू हुआ और परंपरा के अनुसार गधों की पूजा और उन्हें गुलाब जामुन खिलाकर शुरू किया गया।

"उज्जैन गधा मेला" में कितने गधे और घोड़े आए?

इस वर्ष मेले में 500 से अधिक गधे और 200 घोड़े बिक्री के लिए लाए गए।

"गधों का मेला उज्जैन" ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्यों महत्वपूर्ण है?

गधे ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों, ईंट-भट्टों और सामान ढोने के काम आते हैं, इसलिए मेला पशुपालकों और ग्रामीणों के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।