शह मात The Big Debate: आरक्षण, प्रमोशन, ब्रेक…सवाल उठे अनेक! प्रभावित कर्मचारियों का आगे क्या है प्लान? देखिए पूरी रिपोर्ट

MP News: आरक्षण, प्रमोशन, ब्रेक...सवाल उठे अनेक! प्रभावित कर्मचारियों का आगे क्या है प्लान? देखिए पूरी रिपोर्ट

शह मात The Big Debate: आरक्षण, प्रमोशन, ब्रेक…सवाल उठे अनेक! प्रभावित कर्मचारियों का आगे क्या है प्लान? देखिए पूरी रिपोर्ट

MP News | Photo Credit: IBC24

Modified Date: July 7, 2025 / 11:50 pm IST
Published Date: July 7, 2025 11:50 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हाईकोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते में मांगा जवाब
  • 15 जुलाई तक प्रमोशन रोका गया
  • सपाक्स ने पॉलिसी को असंवैधानिक बताया

भोपाल: MP News 9 साल बाद मप्र में प्रमोशन की सुबह आई थी, लेकिन कोर्ट के फैसले से इस पर संशय के बादल छा गए हैं। कोर्ट ने 7 दिनों के अंदर सरकार से जवाब मांगा है। जाहिर तौर पर इससे कर्मचारी मायूस हुए हैं और विपक्ष हमलावर। सवाल है इस सूरतेहाल में आगे क्या हो सकता है क्या प्रमोशन की लॉकिंग डेट आगे बढ़ेगी। क्या इंतजार और ज्यादा लंबा होगा, क्या करेंगे प्रभावित कर्मचारी और आखिर क्या विकल्प है सरकार के पास?

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MP News मध्यप्रदेश सरकार ने 9 साल बाद अपने कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए जून 2025 में जो पॉलिसी बनाई थी वो अब कठघरे में आ गई है। सपाक्स सहित तीन याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर सरकार की प्रमोशन पॉलिसी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। इनमें कहा गया है कि जब एमपी में प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो इसी मुद्दे पर सरकार नई पॉलिसी कैसे बना सकती है। अब हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में कई कानूनी सवाल गूंजे। याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि सरकार की नई नीति प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर रही है जो सरासर गलत है। इन्हीं तर्कों पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 1 हफ्ते में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के रुख को देखकर खुद राज्य सरकार ने ये अंडरटेकिंग दी है कि अगली सुनवाई यानि 15 जुलाई तक नई प्रमोशन पॉलिसी के तहत कोई भी प्रमोशन नहीं किया जाएगा।

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इधर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होते ही सपाक्स और अजाक्स दोनों संगठनों की ओर से रिएक्शन आने शुरु हो गए। सपाक्स ने जहां हाईकोर्ट के संज्ञान का स्वागत किया वहीं अजाक्स ने उम्मीद जताई कि आखिरी फैसला उनके हक में ही आएगा। मुद्दा मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है जो चुनावों के वक्त जनता के बीच, सरकार के पक्ष या सरकार के खिलाफ परसेप्शन बनाने का बड़ा काम करते हैं। ऐसे में सियासत के पीछे रहने के उम्मीद भी नहीं थीं।

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अब इतना तो साफ है कि मध्यप्रदेश सरकार की नई प्रमोशन पॉलिसी ना सिर्फ संवैधानिक सवालों के घेरे में है बल्कि ये सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के भी पुराने अहम फैसलों से घिरती नज़र आ रही है। ऐसे में इंतज़ार 15 जुलाई को होगा जिसमें पता चलेगा कि नई प्रमोशन पॉलिसी टिकेगी या सरकार को उसे वापिस लेना होगा।

मध्यप्रदेश सरकार ने 9 साल बाद अपने कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए जून 2025 में जो पॉलिसी बनाई थी वो अब कठघरे में आ गई है। सपाक्स सहित तीन याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर सरकार की प्रमोशन पॉलिसी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। इनमें कहा गया है कि जब एमपी में प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो इसी मुद्दे पर सरकार नई पॉलिसी कैसे बना सकती है। अब हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में कई कानूनी सवाल गूंजे। याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि सरकार की नई नीति प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर रही है जो सरासर गलत है। इन्हीं तर्कों पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 1 हफ्ते में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के रुख को देखकर खुद राज्य सरकार ने ये अंडरटेकिंग दी है कि अगली सुनवाई यानि 15 जुलाई तक नई प्रमोशन पॉलिसी के तहत कोई भी प्रमोशन नहीं किया जाएगा।

इधर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होते ही सपाक्स और अजाक्स दोनों संगठनों की ओर से रिएक्शन आने शुरु हो गए। सपाक्स ने जहां हाईकोर्ट के संज्ञान का स्वागत किया वहीं अजाक्स ने उम्मीद जताई कि आखिरी फैसला उनके हक में ही आएगा। मुद्दा मध्यप्रदेश के लाखों कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है जो चुनावों के वक्त जनता के बीच, सरकार के पक्ष या सरकार के खिलाफ परसेप्शन बनाने का बड़ा काम करते हैं। ऐसे में सियासत के पीछे रहने के उम्मीद भी नहीं थीं।

अब इतना तो साफ है कि मध्यप्रदेश सरकार की नई प्रमोशन पॉलिसी ना सिर्फ संवैधानिक सवालों के घेरे में है बल्कि ये सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के भी पुराने अहम फैसलों से घिरती नज़र आ रही है। ऐसे में इंतज़ार 15 जुलाई को होगा जिसमें पता चलेगा कि नई प्रमोशन पॉलिसी टिकेगी या सरकार को उसे वापिस लेना होगा।


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IBC24 डिजिटल में कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हूं, जहां मेरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति सहित प्रमुख विषयों की खबरों की कवरेज और प्रस्तुति है। वर्ष 2016 से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हूं और अब तक 8 वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है। विभिन्न प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य करते हुए न्यूज़ राइटिंग और डिजिटल टूल्स में दक्षता हासिल की है। मेरे लिए पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है—सटीक, तेज और असरदार जानकारी पाठकों तक पहुंचाना मेरा लक्ष्य है। बदलते डिजिटल दौर में खुद को लगातार अपडेट कर, कंटेंट की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।