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भोपाल: वादों की बुलंद बस्तियां लेकर हम क्या करेंगे, हमें हमारी जमीं दे दो..हम आसमां लेकर क्या करेंगे? मप्र में खराब सड़कों से परेशान हाल जनता शायद यही कह रही है। बारिश में सड़कें खराब होती हैं पर इंदौर और ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में सड़कों का धसकना जब प्रशासनिक जवाबदेही पर बार-बार प्रश्न खड़ा करे। जब सीधी जैसे किसी इलाके से लीला साहू जैसी कोई आम महिला अगर सड़क के लिए आवाज उठाए और उसकी आवाज में प्रदेश भर के लोगों की आवाज ध्वनित हो तो प्रश्न उठता है। बार-बार मीडिया कवरेज के बाद भी सड़कों की बदहाली न थमे तो सवाल उठता है। पानी और कीचड़ के बीच जब सड़कविहीन मार्ग से कोई शवयात्रा गुजरे तो सवाल उठता है और सवाल उठता है तो उसका उत्तर भी जरूर मिलना चाहिए। क्योंकि ये लोकतंत्र का तकाजा भी है और जनता का मौलिक अधिकार भी।
सीधी में सड़क बनवाने के लिए मोर्चा खोलने वाली लीला साहू का एक और वीडियो सामने आया है। वीडियो में गर्भवती लीला कह रही हैं कि, 9वां महीना है, हमें दर्द हो रहा है। सांसद ने उठवाने की बात कही थी, इसलिए हमें उठवाने का कष्ट करें, हेलिकॉप्टर भेजिए।
दरअसल सीधी के सांसद डॉक्टर राजेश मिश्रा ने कहा था कि, हेलीकॉप्टर भेजकर लीला साहू को उठवा लेंगे और अस्पताल में भर्ती करा देंगे। लीला साहू के वीडियो के बाद सड़क निर्माण का काम तो शुरू हो गया, लेकिन बिना किसी सरकारी आदेश के सड़क पर जेसीबी मशीनें दौड़ रही हैं, पर इस काम के सरकारी आदेश जारी नहीं हुए हैं। दावा किया जा रहा है कि सड़क बन रही है कांग्रेस विधायक अजय सिंह ‘राहुल भैया’ के मौखिक निर्देश पर।
सीधी की अधूरी सड़क की सियासी लीला तो सब देख ही रहे हैं। वैसे इन दिनों पूरे ही मध्यप्रदेश की सड़कों की लीला दिखा रही है। आज फिर देश के सबसे साफ और नंबर वन शहर इंदौर में सड़क धंस गई। तस्वीरें अग्रसेन चौराहे की है। बड़ी बात ये है कि इंदौर में 18 दिन में सड़क धंसने का ये तीसरा मामला है।
इससे पहले इंदौर के विजय नगर क्षेत्र में सड़क धंसने से तकरीबन 10 फीट का गहरा गड्ढा हो गया था। भोपाल का बोर्ड ऑफिस चौराहा, ग्वालियर के महल रोड तक जाती ये सड़क तो आपको याद ही होगी। जिसने बारिश के बाद निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की परतें सबके सामने रखी। हर दिन धंसती सड़कों पर राजनीति खूब हिलोरे मार रही है।
ग्वालियर के हाल तो बद से बदतर हर दूसरे दिन यहां सड़क धंस जाती है। हालात ये है कि पॉश दर्पण कॉलोनी की धँसी सड़क का गड्ढा भरने जो निगम की ट्रॉली पहुंची थी और वो भी इसी रोड में धंस गई थी। जिसे JCB की मदद से बाहर निकाला गया था
ये तो मध्यप्रदेश के महानगरों की सड़कों के हाल है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों के क्या हाल होंगे। बड़वानी और शिवपुरी की सड़कें अपनी बदहाली की दास्तां खुद बयां कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यही कि क्या सिर्फ मरम्मत के नाम पर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ लिया जाएगा और अगर कोई लीला साहू जैसे सड़क निर्माण के लिए आवाज उठाएगा तो क्या आम जनता सिर्फ सियासतदानों के हाथ की कठपुतली रह जाएगी?