एक महिला को सिर्फ इसलिए गुजारा भत्ता से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह कमाती है: अदालत

एक महिला को सिर्फ इसलिए गुजारा भत्ता से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह कमाती है: अदालत

एक महिला को सिर्फ इसलिए गुजारा भत्ता से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह कमाती है: अदालत
Modified Date: June 26, 2025 / 03:44 pm IST
Published Date: June 26, 2025 3:44 pm IST

मुंबई, 26 जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा है कि एक महिला को अलग रह रहे अपने पति से मिलने वाली वित्तीय सहायता से सिर्फ इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह कमाती है।

न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने 18 जून के आदेश में कहा कि पत्नी उसी जीवन स्तर की हकदार है, जिस तरह का जीवन वह पति से अलग होने से पहले ससुराल में गुजार रही थी।

इस फैसले की एक प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराई गई।

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अदालत ने एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसे अगस्त 2023 के कुटुम्ब अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए दायर किया गया था। कुटुम्ब अदालत ने व्यक्ति को अपनी पत्नी को 15,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पत्नी एक कामकाजी महिला है, जो 25,000 रुपये प्रतिमाह से अधिक कमाती है और इसलिए उसे उससे ‘‘उच्च’’ गुजारा भत्ते की आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हालांकि पत्नी कमा रही है, लेकिन यह आय उसके खुद के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं है, क्योंकि उसे अपनी नौकरी के लिए रोजाना लंबी दूरी का सफर तय करना पड़ता है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि इतनी आय के साथ, वह एक अच्छा जीवन जीने की स्थिति में नहीं है।

न्यायमूर्ति देशपांडे ने कहा, ‘‘केवल इसलिए कि पत्नी कमा रही है, उसे अपने पति से मिलने वाली आर्थिक सहायता से वंचित नहीं किया जा सकता है।’’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पत्नी की तुलना में कहीं अधिक कमाता है, जबकि उसकी कोई वित्तीय जिम्मेदारी नहीं है।

भाषा शफीक सुरेश

सुरेश


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